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सी - बीच पर दो पूर्व परिचित

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21769

यह कहानी कॉलेज  के दिनों के दो अंतरंग  प्रेमियों  के  बिछुड़ जाने के अरसा बाद मिलने की कहानी है । ...देखिये मिलने के बाद उन दिनों के  पनपते प्रेम का  क्या होता है ...  (यह कहानी मेरे हिन्द युग्म ...

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लेखक के बारे में

टाटा स्टील में ३९ साल इस्पात के उत्पादन विभाग में काम करते हुए पिघलते पसीने के बीच भी अगर साहित्य - सृजन की अकुलाहट को जिन्दा रखने में सफल हो पाया हूँ तो यह सरस्वती माँ की कृपा और आप सबों के स्नेह के कारण ही हो सका है। यही मेरा परिचय भी है और उपलब्धि भी। वर्ष 1973 – 74 में जेपी आंदोलन में अगुआई, जेपी के तरुण शांति सेना के सिपाही बने । आपातकाल के दौरान वारंट जारी होने के कारण भूमिगत होना पड़ा । उसी समय 1975 जनवरी से टाटा स्टील में साक्षात्कार में चयनित होकर नौकरी शुरू की। 16 साल उत्पादन विभागों में तथा 19 साल तक योजना विभाग में कार्यरत । नौकरी के दरम्यान ही इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़मेटल्स, कोलकता से मेतल्लुर्गी*(धातुकी) में इंजीनियरिंग , इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (IGNOU) से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मार्केटिंग मैनेजमेंट। टाटा स्टील के इन हाउस मैगजीन में कई टेक्निकल पेपर प्रकाशित। अपने योजना विभाग में इन हाउस ट्रेनिंग कार्यक्रम के तहत 'ज्ञानअर्जन' सेशन का आयोजन, योजना विभाग के ट्रेनिंग गाइड का प्रकाशन। जनवरी 2014 से सेवानिवृति के बाद हिन्दी साहित्य की सेवा का संकल्प । विद्यार्थी जीवन में कॉलेज की मैगजीन में हिन्दी कविताओं का प्रकाशन । उससमय पटना से प्रकाशित अख़बार आर्यावर्त, इंडियन नेशन, प्रदीप तथा सर्चलाईट में कविता तथा लेखों का प्रकाशन । जेपी आंदोलन के समय जेपी के विद्यार्थी एवं युवाशाखा के वाराणसी से प्रकाशित मुख्यपत्र ' तरुणमन ' में लेखों का लगातार प्रकाशन । वर्ष 2005 से 2007 के बीच गया में मानस चेतना समिति के मुख्यपत्र ' चेतना ' में कविता एवं लेखों का प्रकाशन। हिन्दी साहित्य के लिए कुछ कर सकने की जिद ने सृजन के लिए प्रेरित किया। अपना ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com में ब्लॉग लेखन। 2015 में कहानी संग्रह "छाँव का सुख" हिन्द युग्म दिल्ली से प्रकाशित। 2018 जनवरी में उपन्यास "डिवाइड़र पर कॉलेज जंक्शन" भी हिंद युग्म से प्रकाशित। वर्तमान में सिंहभूम हिन्दी सहित्य सम्मेलन, जमशेदपुर और अखिल भारतीय साहित्य परिषद् से सक्रिय रूप से जुड़े हैं। यू टयूब चैन्नेल marmagya net पर मेरे काव्य पाठ को देख और सुन सकते हैं। काव्यात्मक परिचय : 1975 से टाटा स्टील का साथ। कर्मक्षेत्र जमशेदपुर, जन्म स्थान गया विहार। रहता हूँ मानगो संजय पथ। सेवा निवृत्त होकर, सात साल पूर्व। साहित्य सेवा में बीतता है वक्त, तीन पुस्तकें दिल्ली से प्रकाशित "छाँव का सुख" कहानी संग्रह, "डिवाइडर पर कॉलेज जंक्शन" उपन्यास और "तुम्हारे झूठ से प्यार है" कहानी संग्रह. अमेज़न किंडल पर "कौंध" कविता संग्रह। "आई लव योर लाइज" कहानी संग्रह। "ताज होटल गेटवे ऑफ इंडिया" लघु उपन्यास, "छूटता छोर अंतिम मोड़", "कोरोना कनेक्शन"  उपन्यास। वेबसाइट हिंदी प्रतिलिपि पर कहानियाँ और धारावाहिक उपन्यास प्रकाशित। अपना ब्लॉग मर्मज्ञानेट. ब्लॉग्स्पॉट, अपना यूट्यूब मर्मज्ञानेट। पिछले दो  वर्षों से अखिल भारतीय साहित्य परिषद, पेड़ों की छांव तले रचना पाठ वैशाली दिल्ली एन सी आर, ने दिया हमारी साहित्य विधा को आकाश, सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मलेन, तुलसी भवन, जमशेदपुर से पाँच  वर्षों से रहा है जुड़ाव, जहाँ हुआ है मेरी साहित्यिक प्रतिभा  का विकास। यही है मेरा जीवन का संचय, और इसे ही समझें मेरा आत्म परिचय।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Gaurav Neema
    18 सितम्बर 2018
    कुछ अधूरी सी कहानी लगी
  • author
    Preetima Bhadouria
    26 जून 2021
    मैने आज पढ़ी आपकी कहानी, "सी - बीच पर दो पूर्व परिचित" कथा शिल्प, भाषा शैली, कहानी में प्रवाहमयता के विषय मे कुछ कहना सूरज को रौशनी दिखाने जैसा होगा। मेरी समझ से प्रेम की पवित्रता और गहराई को व्यक्त करती है आपकी कहानी। दो पूर्व परिचित, एक दूसरे के प्रति अव्यक्त प्रेम को वर्षों तक अपने भीतर समाहित किये हुए आशा निराशा के बीच आख़िर अंत मे मिल ही गए, मिलन भी बड़ा मोहक स्त्री प्रधान दिखाया आपने। मुझे आपकी कहानी के कई वाक्यों ने बहुत मोहित किया है,उनमें से एक है, "बुध्धू जिसे चाहते हैं, उसे बलपूर्वक रोक लेते हैं अपने पास।" अर्थशास्त्र और भौतिकी के अपूर्व प्रेम कहानी। बहुत सुंदर अंतर को स्पर्श करती कहानी।
  • author
    नीता राठौर
    07 जनवरी 2019
    मिश्रा जी, कहानी की प्रस्तुतिकरण तो निसंदेह बढ़िया है किन्तु अंत कुछ खटकने वाला है। वैसे रचना आपकी है, एक रचनाकार के माइंड में सारा कुछ क्लियर रहता है किन्तु पाठक मन पढ़ते पढ़ते अपने अनुसार अंत सोचता है। इसलिए कई पाठकों को ये रचना बेतुकी सी लगी। खैर...आगामी लेखन के लिए शुभकामनाएं... एक अनुरोध है, वहीं सारी बातें कॉपी पेस्ट न करें। आपका उपन्यास पढ़ने का अनुरोध एवं आपके बारे में सारी जानकारियां पढ़ चुकी हूं। धन्यवाद।
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    Gaurav Neema
    18 सितम्बर 2018
    कुछ अधूरी सी कहानी लगी
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    Preetima Bhadouria
    26 जून 2021
    मैने आज पढ़ी आपकी कहानी, "सी - बीच पर दो पूर्व परिचित" कथा शिल्प, भाषा शैली, कहानी में प्रवाहमयता के विषय मे कुछ कहना सूरज को रौशनी दिखाने जैसा होगा। मेरी समझ से प्रेम की पवित्रता और गहराई को व्यक्त करती है आपकी कहानी। दो पूर्व परिचित, एक दूसरे के प्रति अव्यक्त प्रेम को वर्षों तक अपने भीतर समाहित किये हुए आशा निराशा के बीच आख़िर अंत मे मिल ही गए, मिलन भी बड़ा मोहक स्त्री प्रधान दिखाया आपने। मुझे आपकी कहानी के कई वाक्यों ने बहुत मोहित किया है,उनमें से एक है, "बुध्धू जिसे चाहते हैं, उसे बलपूर्वक रोक लेते हैं अपने पास।" अर्थशास्त्र और भौतिकी के अपूर्व प्रेम कहानी। बहुत सुंदर अंतर को स्पर्श करती कहानी।
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    नीता राठौर
    07 जनवरी 2019
    मिश्रा जी, कहानी की प्रस्तुतिकरण तो निसंदेह बढ़िया है किन्तु अंत कुछ खटकने वाला है। वैसे रचना आपकी है, एक रचनाकार के माइंड में सारा कुछ क्लियर रहता है किन्तु पाठक मन पढ़ते पढ़ते अपने अनुसार अंत सोचता है। इसलिए कई पाठकों को ये रचना बेतुकी सी लगी। खैर...आगामी लेखन के लिए शुभकामनाएं... एक अनुरोध है, वहीं सारी बातें कॉपी पेस्ट न करें। आपका उपन्यास पढ़ने का अनुरोध एवं आपके बारे में सारी जानकारियां पढ़ चुकी हूं। धन्यवाद।