टूटी सी झोपड़ी में बैठा था वो माथे धर के हाथ। होये रोना आग्या जब देखे मन्ने हाली के हालात।। धोरे सी जा के बुझया मन्ने उसका हाल तमाम। या हालत क्यूकर होयी दिन रात करे स काम। खुल के बता मैं बुझना चाहूँ ...
कति चाले पाड़ दिए आपनै तै👌👌👌👌👌👌 हाली का हाल इसी तरियां लिख्या सै जणू मैं धोरै खड़ी हो कै देखण लाग री सूं।
कसूती कविता लिख दी👌👌👌💐💐💐💐💐
घणी कामल लागी👏👏👏👏👏👏👏पर घणा दुख होया हाली की हालत सोच कै। रचना खात्तर पांच स्टार और⭐⭐⭐⭐⭐
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