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टूटी सी झोपड़ी

4.4
254

टूटी सी झोपड़ी में बैठा था वो माथे धर के हाथ। होये रोना आग्या जब देखे मन्ने हाली के हालात।। धोरे सी जा के बुझया मन्ने उसका हाल तमाम। या हालत क्यूकर होयी दिन रात करे स काम। खुल के बता मैं बुझना चाहूँ ...

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लेखक के बारे में

पूरा नाम: डॉ सुलक्षणा अहलावत लेक्चरर इन इंग्लिश एजुकेशन डिपार्टमेंट हरियाणा गवर्मेंट

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    02 अप्रैल 2019
    कति चाले पाड़ दिए आपनै तै👌👌👌👌👌👌 हाली का हाल इसी तरियां लिख्या सै जणू मैं धोरै खड़ी हो कै देखण लाग री सूं। कसूती कविता लिख दी👌👌👌💐💐💐💐💐 घणी कामल लागी👏👏👏👏👏👏👏पर घणा दुख होया हाली की हालत सोच कै। रचना खात्तर पांच स्टार और⭐⭐⭐⭐⭐
  • author
    27 मार्च 2023
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    25 दिसम्बर 2019
    सुन्दर अभिव्यक्ति ।
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    02 अप्रैल 2019
    कति चाले पाड़ दिए आपनै तै👌👌👌👌👌👌 हाली का हाल इसी तरियां लिख्या सै जणू मैं धोरै खड़ी हो कै देखण लाग री सूं। कसूती कविता लिख दी👌👌👌💐💐💐💐💐 घणी कामल लागी👏👏👏👏👏👏👏पर घणा दुख होया हाली की हालत सोच कै। रचना खात्तर पांच स्टार और⭐⭐⭐⭐⭐
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    27 मार्च 2023
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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    अरविन्द सिन्हा
    25 दिसम्बर 2019
    सुन्दर अभिव्यक्ति ।