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टूटते रिश्ते बिखरते परिवार

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टूटते  परिवार  बिखरते  रिस्ते ------------------------------------ वर्तमान  में  परिवार  शब्द  कछुए की भांति  स्वयं में  संकुचित  हो गया  है  । पहले परिवार  में  जहाँ  दादा , दादी  , पिता  माता ...

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लेखक के बारे में

ग्रामीण आंचल में पला । कानपुर से ग्रेजुएशन किया बचपन से साहित्यिक रुचि । विशेष रूप से से आध्यात्मिक साहित्य । लेख लिखने का शौक । दैनिक समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं में कई लेख प्रकाशित हो चुके हैं ।् पुस्तक पथिक जाएगा कहाँ एवं स्वप्न सरोवर प्रकाशित हो चुकी है । बाराणसी शहर उत्तर प्रदेश का निवासी हूँ । जीवन के दो पडाव पार कर तीसरे की याञा चालू है । तीर्थाटन , पठन और लेखन मुख्य शौक हैं । यथा शक्ति समाज सेवा में भी हाथ बटालेता हूँ ।

समीक्षा
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  • author
    22 सितम्बर 2022
    बहुत ही सुंदर तथ्यपरक प्रेरणादायक आलेख लिखा है भाई जी आपने।🙏🙏सुप्रभात!
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    22 सितम्बर 2022
    बहुत ही सुंदर तथ्यपरक प्रेरणादायक आलेख लिखा है भाई जी आपने।🙏🙏सुप्रभात!