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तुटा ख्वाब

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मत  पूछो इस  दिल  से क्या क्या जुल्म  सहे है जिंदगी संवारने के लिये ख्वाब पीछे छोड दिये है दौड रही अकेले पथपर दर्द से भरा दिल  लेकर रास्ता था बडा  मुश्किल और बडी दूर थी मंझिल हार  कर भी  उठ  ...

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लेखक के बारे में
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शुभ्रा राऊत

वाचता वाचता कधी लिहायला लागले कळलंच नाही...

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vandana Patil
    03 जुलाई 2025
    बहुत बहुत सुन्दर लिखा है ताईजी 👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍👏👏👏👏💐💐💐💐
  • author
    Vinod S.Dambe "मामाश्री"
    03 जुलाई 2025
    वाह.. बहुत-बहुत सुन्दर प्रस्तुति शुभ्रा जी 👌👍
  • author
    कमल "काव्य कुंज"
    04 जुलाई 2025
    बेहद खुबसुरत प्रस्तुती ✨✨✨✨✨✍️✍️✍️💐💐💐
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    Vandana Patil
    03 जुलाई 2025
    बहुत बहुत सुन्दर लिखा है ताईजी 👌👌👌👌👌👍👍👍👍👍👏👏👏👏💐💐💐💐
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    Vinod S.Dambe "मामाश्री"
    03 जुलाई 2025
    वाह.. बहुत-बहुत सुन्दर प्रस्तुति शुभ्रा जी 👌👍
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    कमल "काव्य कुंज"
    04 जुलाई 2025
    बेहद खुबसुरत प्रस्तुती ✨✨✨✨✨✍️✍️✍️💐💐💐