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तुमसे दूर

4.5
24434

प्रिय सुगन्धा, सबसे पहले बड़ी वाली माफ़ी, कान पकड़कर, इस बार खत लेट हो गया. जानती हो, अब जाकर सब सेट हो पाया है। कितना अंतर है न तुम में और मुझ में? मैं तुम्हारा ये हुनर कभी नहीं सीख पाया। ओह! तुम भी ...

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लेखक के बारे में
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सीमा सिंह

लघुकथा एवं कहानी विधा में लेखन,लघुकथा कलश अर्द्धवार्षिक पत्रिका के सम्पादक मंडल की सदस्य, शक्ति ब्रिगेड संस्था की महासचिव। रुचियाँ - स्वतंत्र लेखन, पेंटिंग, अध्ययन,कुकिंग एवं समाजसेवा। विधाएँ - लघुकथा, कहानी, संस्मरण, आलेख, आदि, गद्य विधाएँ। प्रकाशन - लघुकथाएँ, कहानियाँ एवं आलेख दैनिक जागरण सहित विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में, तथा लघुकथाएँ विविध साझा संकलनों में। सम्मान एवं पुरस्कार- लघुकथा गौरव सम्मान ग्वालियर साहित्य एवं कला परिषद द्वारा , महादेवी वर्मा सम्मान आशा किरण समृद्धि फाउंडेशन द्वारा , शिक्षा गौरव सम्मान रोटरी क्लब इलीट द्वारा - हिंदी भाषा सेवा सम्मान विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा - विद्या वाचस्पति सारस्वत सम्मान रोटरी क्लब कानपुर इलीट द्वारा - वीमेन अचीवर सम्मान भारत उत्थान न्यास सम्मान प्रतिलिपि कथा सम्मान प्रतियोगिता - प्रथम पुरस्कार साहित्य सृजन संवाद कहानी प्रतियोगिता - विशिष्ट कहानी पुरस्कार सेतु लघुकथा प्रतियोगिता - प्रथम पुरस्कार सम्पर्क- ईमेल [email protected]

समीक्षा
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    सुधीर द्विवेदी
    26 एप्रिल 2016
    पति-पत्नी के बीच का रिश्ता ! कुछ अनकही बातें, कुछ अनसुनी शिकायतें .. बहुत सारा अप्रदर्शित प्यार . इन्ही से मिल कर बनता है ये साथ जन्म का रिश्ता .. शब्द दर शब्द मन में उतरती जाती भावनाए .. खत लिख दे सांवरिया के नाम बाबू .. कोरे कागज पे लिखा दे सलाम बाबू ... बेहतरीन रचना ! बधाई स्वीकारें 
  • author
    रोहित शर्मा
    26 एप्रिल 2016
    बहुत मार्मिक पत्र है। और पत्रों के सहारे प्रियतमा से बाते करना अपनी हर छोटी बातें बताना दिल को छू गया।  बहुत खूबसूरत दिल को छूता हुआ  पत्र। 
  • author
    Yogendra Singh
    03 फेब्रुवारी 2017
    कलेजा निकाल कर तो आपने बाहर रख दिया।टिप्पणी करने के शब्द नही है मेरे पास।लाजवाब।
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    सुधीर द्विवेदी
    26 एप्रिल 2016
    पति-पत्नी के बीच का रिश्ता ! कुछ अनकही बातें, कुछ अनसुनी शिकायतें .. बहुत सारा अप्रदर्शित प्यार . इन्ही से मिल कर बनता है ये साथ जन्म का रिश्ता .. शब्द दर शब्द मन में उतरती जाती भावनाए .. खत लिख दे सांवरिया के नाम बाबू .. कोरे कागज पे लिखा दे सलाम बाबू ... बेहतरीन रचना ! बधाई स्वीकारें 
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    रोहित शर्मा
    26 एप्रिल 2016
    बहुत मार्मिक पत्र है। और पत्रों के सहारे प्रियतमा से बाते करना अपनी हर छोटी बातें बताना दिल को छू गया।  बहुत खूबसूरत दिल को छूता हुआ  पत्र। 
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    Yogendra Singh
    03 फेब्रुवारी 2017
    कलेजा निकाल कर तो आपने बाहर रख दिया।टिप्पणी करने के शब्द नही है मेरे पास।लाजवाब।