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तुम्हे संभलना होगा

4.6
50125

"श्रेयांश तुम समझते क्यों नहीं । मेरी ना का मतलब सिर्फ़ ना ही है ये हाँ में अब कभी नहीं बदलेगा ।" हमेशा की तरह ही इस बार भी इशिका ने बिना दरवाज़ा खोले रोने और चिल्लाने के भाव को एक करते हुए ना ...

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लेखक के बारे में
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धीरज झा

नाम धीरज झा, काम - स्वछंद लेखन (खास कर कहानियां लिखना), खुद की वो बुरी आदत जो सबसे अच्छी लगती है मुझे वो है चोरी करना, लोगों के अहसास को चुरा कर कहानी का रूप दे देना अच्छा लगता है मुझे....किसी का दुःख, किसी की ख़ुशी, अगर मेरी वजह से लोगों तक पहुँच जाये तो बुरा ही क्या है इसमें :) .....इसी आदत ने मुझसे एक कहानी संग्रह लिखवा दिया जिसका नाम है सीट नं 48.... जी ये वही सीट नं 48 कहानी है जिसने मुझे प्रतिलिपि पर पहचान दी... इसके तीन भाग प्रतिलिपि पर हैं और चौथा और अंतिम भाग मेरे द्वारा इसी शीर्षक के साथ लिखी गयी किताब में....आप सब की वजह से हूँ इसीलिए कोशिश करूँगा कि आप सबका साथ हमेशा बना रहे... फेसबुक पर जुड़ें :- https://www.facebook.com/profile.php?id=100030711603945

समीक्षा
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    Shikha Shrivastava
    23 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    काश ऐसा प्यार साथ हर लड़की को नसीब हो। ऐसा सिर्फ कहानियों में ही क्यो होता है?
  • author
    Pravesh
    22 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    समाज में ऐसे श्रेयांश की बहुत जरूरत है क्योंकि इंसान की खाल में आजकल ऐसे पिशाच चारो तरफ घूम रहे है जो हमारी मां बहन बेटियों की सीधे आत्मा को ही मार देते है, जब तक ऐसे लोगो को भयानक दंड का प्रावधान हमारे देश में नहीं होगा तब हम बस खुद को शर्मिंदा होते हुए ही देख सकते है ।
  • author
    Deepa Negi
    10 ಜೂನ್ 2020
    बहुत अच्छा कदम श्रेयांस का।पर असल जिंदगी में श्रेयांस जेसी सोच वाले लोग बहुत कम ही होते हैं। हमारे समाज में औरतों के साथ गलत घटना का जिम्मेदार भी औरतों को ही बता दिया जाता है।
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    Shikha Shrivastava
    23 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    काश ऐसा प्यार साथ हर लड़की को नसीब हो। ऐसा सिर्फ कहानियों में ही क्यो होता है?
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    Pravesh
    22 ಏಪ್ರಿಲ್ 2018
    समाज में ऐसे श्रेयांश की बहुत जरूरत है क्योंकि इंसान की खाल में आजकल ऐसे पिशाच चारो तरफ घूम रहे है जो हमारी मां बहन बेटियों की सीधे आत्मा को ही मार देते है, जब तक ऐसे लोगो को भयानक दंड का प्रावधान हमारे देश में नहीं होगा तब हम बस खुद को शर्मिंदा होते हुए ही देख सकते है ।
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    Deepa Negi
    10 ಜೂನ್ 2020
    बहुत अच्छा कदम श्रेयांस का।पर असल जिंदगी में श्रेयांस जेसी सोच वाले लोग बहुत कम ही होते हैं। हमारे समाज में औरतों के साथ गलत घटना का जिम्मेदार भी औरतों को ही बता दिया जाता है।