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तुम्हारे चेहरे को चाँद सा चेहरा कह नहीं सकता

4.3
2283

तुम्हारे चेहरे को चाँद सा चेहरा कह नहीं सकता नीरस, निरार्द्र ,निर्जीव, बड़े बड़े गड्ढों से भरा , दूसरे की रोशनी से चमकने वाले की उपमा तुम्हारे चेहरे को कैसे दे दूँ, और ये प्यार जिसे तुम दिल की सौगात ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    VINAY KUMAR SAURABH
    26 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2015
    कैशोर्य रूमानियत से भरी कविता ।  
  • author
    Akashwani Faizabad
    15 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2015
    Yatharthpoorn Poem
  • author
    Mohammad Nazim
    25 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2015
    Excellant poem
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    VINAY KUMAR SAURABH
    26 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2015
    कैशोर्य रूमानियत से भरी कविता ।  
  • author
    Akashwani Faizabad
    15 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2015
    Yatharthpoorn Poem
  • author
    Mohammad Nazim
    25 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2015
    Excellant poem