पड़ा है सब बिखरा -बिखरा,
जब से तुम हो खफा।
दुनिया को दिखाते हैं हम,
खुश हैं आगे बढ चुके जिंदगी में।
लेकिन वही आकर खडे रहते,
जहाँ से चलना शुरू किया तुम्हारे साथ।
करता है मन की उसी जगह जाए,
और फिर से ...
waah bahot sahi farmaya
खुदगर्ज ये खुशियां
घूंटन हैं ये सिसकियां
ना तराशो खुदा के लिये
बिखर जाउंगी मिट्टी के लिये
इत्नी ना इंतहा लो के
मरके भी जिंदा हो जी जाऊ
पलके रूठी बिछाये सपनो में
सांसो के करीब आगोश मे
हमतुम कहानी के मुखपॄष्ठमें
शूरू से अंतिम प्रकरणके पन्ने मे
एक तुम ही तो हो जो सबकुछ जानते हो बोलोना
दिदारे हाल हुं बेहाल जानता हुं बोलोना ...!!
----रेखा शुक्ला
रिपोर्ट की समस्या
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घूंटन हैं ये सिसकियां
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इत्नी ना इंतहा लो के
मरके भी जिंदा हो जी जाऊ
पलके रूठी बिछाये सपनो में
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