pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

तुम्हारा फ़ोन आया है

4.0
17054

स्वास्थय खराब होने के कारण अत्यंत गहरी नींद में सो रहा था , अचानक फ़ोन की घंटी घनघनाई .......फ़ोन की घंटी के आवाज़ सुनकर फ़ोन उठाकर देखा तो पता चला कोई अननोन नंबर है ...फ़ोन को पलट कर रख दिया और फिर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

न मैं कवि हूँ और न कोई शब्दों का खिलाडी. मुझे अपनी भावनाओ को व्यक्त करने के लिए चंद शब्दों की जरुरत पड़ती हैं और मेरे शब्दकोष का अल्पज्ञान कभी मुझे कोसता भी हैं मगर मैं जैसे तैसे शब्दों को पिरो कर अपनी तरफ से अपने उदगार व्यक्त करता हूँ। कभी वो कविता की शक्ल अख्तियार कर लेती हैं तो कभी वो शब्दों का ताना बाना. कभी कुछ लोग पढ़ लेते हैं और कभी कुछ लोग देख कर बकवास करार दे देते हैं......!! मगर मैं भी जिद्दी हूँ भावनाओ के उफान में बहकर फिर कुछ न कुछ लिख ही लेता हूँ बिना इस बात की परवाह किये की ये सिर्फ मेरे तक ही सीमित रह जाएँगी या कुछ लोगो को पसंद आएँगी., वास्तव में, मेरा सफ़र हैं इस खूबसूरत ज़िन्दगी का -जो भगवान ने हमें दी हैं....!!!

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Atul kumar
    06 नोव्हेंबर 2016
    बेहद हृदयस्पर्शी रचना। किन्तु... क्या अतीत को भुलाकर फिर से नयी शुरुआत नहीं हो सकती?
  • author
    रश्मि सिंह
    12 ऑक्टोबर 2016
    आंसू हमारी सर्वोत्तम अभिव्यक्ति हैं l हह्रदयस्पर्शी!!
  • author
    Abhay Karn
    10 नोव्हेंबर 2016
    Awesome.....
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Atul kumar
    06 नोव्हेंबर 2016
    बेहद हृदयस्पर्शी रचना। किन्तु... क्या अतीत को भुलाकर फिर से नयी शुरुआत नहीं हो सकती?
  • author
    रश्मि सिंह
    12 ऑक्टोबर 2016
    आंसू हमारी सर्वोत्तम अभिव्यक्ति हैं l हह्रदयस्पर्शी!!
  • author
    Abhay Karn
    10 नोव्हेंबर 2016
    Awesome.....