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तुम्हारा मौलिक गुण,..

4.5
265

सुनो! मैं जानती हूं कि नही है तुम्हे पसंद बंधनो में बंधकर जीना, और तुम्हारा व्यक्तित्व भी तो सागर सा ही है, विशालता और गहनता तुम्हारा मौलिक गुण जो है,.. ये महानता है तुम्हारी कि सागर की तरह तुम समेट ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रीति 'अज्ञात'
    13 अक्टूबर 2015
    बहुत सुंदर!
  • author
    Sweta Pant "Seemu"
    28 अगस्त 2022
    बेहतरीन 👌 कृपया मेरी रचनाओं को भी पढ़कर अपनी राय प्रदान कीजिएगा
  • author
    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    01 अप्रैल 2020
    अच्छी रचना।मेरी रचनाये भी पढे व अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे ।
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    प्रीति 'अज्ञात'
    13 अक्टूबर 2015
    बहुत सुंदर!
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    Sweta Pant "Seemu"
    28 अगस्त 2022
    बेहतरीन 👌 कृपया मेरी रचनाओं को भी पढ़कर अपनी राय प्रदान कीजिएगा
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    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    01 अप्रैल 2020
    अच्छी रचना।मेरी रचनाये भी पढे व अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करे ।