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तुम सा कौन?

4.1
14645

तुम इंतज़ार करती कसमसा रही होगी,ये ख़्याल आते ही मैंने बाइक की स्पीड़ तेज़ कर दी, ट्रैफिक तो रोज़ की ही तरह था,पर तुम तक जल्द-पहुँचने की चाहत में लग रहा था ,मानो सारा शहर ही सड़क पर उमड़ गया हो, खीझते मन को ...

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लेखक के बारे में
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महुआमीत

मुझे लिखना कहाँ आता है, बस भावों को शब्दों का रूप दे देती हूँ...!!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    27 अगस्त 2017
    आज पहली बार इस मंच पर.एक बेहतरीन चीज पढ़ी ....कहीं दूर ले गयी वादियों मे ...हर शब्द जीते हुए ...हर पल को महसूसती हुई ... गजब की कलाकारी की है लफ्जों के साथ की एक खूबसूरत तस्वीर आँखों मे लहरा उठी ...जितनी.तारीफ करूं.कम है ..बधाई
  • author
    mamta
    22 जनवरी 2018
    lovely
  • author
    Sujata Singh
    05 मई 2018
    Rula diya , bahut sundar likha hai , kahani se jyada lekh lag raha hai par bahut acha hai
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    27 अगस्त 2017
    आज पहली बार इस मंच पर.एक बेहतरीन चीज पढ़ी ....कहीं दूर ले गयी वादियों मे ...हर शब्द जीते हुए ...हर पल को महसूसती हुई ... गजब की कलाकारी की है लफ्जों के साथ की एक खूबसूरत तस्वीर आँखों मे लहरा उठी ...जितनी.तारीफ करूं.कम है ..बधाई
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    mamta
    22 जनवरी 2018
    lovely
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    Sujata Singh
    05 मई 2018
    Rula diya , bahut sundar likha hai , kahani se jyada lekh lag raha hai par bahut acha hai