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तुम मेरी हो

4.7
89

यूँ लाज का दामन थामे होआँखों में प्रीत छुपाये होखामोशी के अलख जगाये होरोम रोम से किरणें फूटेंतमस दूर हो,ज्योति यूँ छलकेजीवन के नूतन अर्थ उभरतेतुमको देख नयन छलकतेजीने के हैं राग पनपतेसुख दुख के ...

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लेखक के बारे में
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अरुण झा

रचनाकर नहीं हूँ, रचनाधर्मिता का कायल हूँ मगर

समीक्षा
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  • author
    R D
    30 जुलाई 2022
    👌😍bahut khub
  • author
    Alka Mishra "अलका श्री"
    07 मार्च 2019
    bahut khoob ahsas
  • author
    Rachna Singh "Singh"
    25 फ़रवरी 2019
    खूबसूरत
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    R D
    30 जुलाई 2022
    👌😍bahut khub
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    Alka Mishra "अलका श्री"
    07 मार्च 2019
    bahut khoob ahsas
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    Rachna Singh "Singh"
    25 फ़रवरी 2019
    खूबसूरत