जब झूमकर घटा लगे और टूटकर बरस जाये तुम लौट आना अपने गांव अलाप लेते हुये धानरोपनी गीतों का कि थ्रेसर – ट्रेक्टर के पीछे खडे बैल तुम्हारा इन्तजार करते मिलेंगे कि खेतों में दालानों में मिलेंगे पेंड़ ...
वाकई ऐसी कविता को पढ़ने के बाद, मन को गाँव की ओर ले जाना अच्छा लगता है,
अच्छा लगता है कविताओं में शुद्ध देशज शब्दों की कारीगरी
और-
गाँव की सोंधी मिट्टी की महक......
बहुत सुंदर और सारगर्भित कविता है यह, बधाइयाँ ।
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वाकई ऐसी कविता को पढ़ने के बाद, मन को गाँव की ओर ले जाना अच्छा लगता है,
अच्छा लगता है कविताओं में शुद्ध देशज शब्दों की कारीगरी
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