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तुम लौट आना अपने गांव

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जब झूमकर घटा लगे और टूटकर बरस जाये तुम लौट आना अपने गांव अलाप लेते हुये धानरोपनी गीतों का कि थ्रेसर – ट्रेक्टर के पीछे खडे बैल तुम्हारा इन्तजार करते मिलेंगे कि खेतों में दालानों में मिलेंगे पेंड़ ...

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समीक्षा
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  • author
    मनोज पाण्डेय
    21 अक्टूबर 2015
    वाकई ऐसी कविता को पढ़ने के बाद, मन को गाँव की ओर ले जाना अच्छा लगता है, अच्छा लगता है कविताओं में शुद्ध देशज शब्दों की कारीगरी  और- गाँव की सोंधी मिट्टी की महक...... बहुत सुंदर और सारगर्भित कविता है यह, बधाइयाँ । 
  • author
    Manjit Singh
    05 अक्टूबर 2020
    इस कविता पर तो आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना चाहिए ।आपको शत शत नमन
  • author
    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    बहुत ही सुंदर...
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    मनोज पाण्डेय
    21 अक्टूबर 2015
    वाकई ऐसी कविता को पढ़ने के बाद, मन को गाँव की ओर ले जाना अच्छा लगता है, अच्छा लगता है कविताओं में शुद्ध देशज शब्दों की कारीगरी  और- गाँव की सोंधी मिट्टी की महक...... बहुत सुंदर और सारगर्भित कविता है यह, बधाइयाँ । 
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    Manjit Singh
    05 अक्टूबर 2020
    इस कविता पर तो आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलना चाहिए ।आपको शत शत नमन
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    Ravindra Narayan Pahalwan
    11 अक्टूबर 2018
    बहुत ही सुंदर...