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तुम खेलो तो भी लगता है प्यार है।

4.2
3421

अब बारिश होने लगी थी जोर की, बिजली भी कड़की थी, लोग अपने बैग सर पे रख के भागे, कुछ रेन कोट में थे, कुछ छाते में, पता ही नहीं चला, उस पुल पर कब तुम और में अकेले खड़े रह गए..अँधेरा सा हो गया है लेकिन ...

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लेखक के बारे में
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दीपक कश्यप

एक बड़े शहर के छोटे से घर का छोटा सा लड़का। कंप्यूटर के क्षेत्र में स्तानकोत्तर है। लेकिन ज़िन्दगी ने लिखना सीखा दिया।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aashnaafroz
    05 अक्टूबर 2019
    kuch kuch samjha, khi nasamajh bn gi mai , ek lamhe ka kisi ne kisi ke saath kirdaar jee liya..
  • author
    12 मई 2018
    काल्पनिक। मेरी रचनाभी पढकर बताएं कैसी है।
  • author
    Rajni Bansal
    22 अगस्त 2020
    very nice 👌👌👌👌👌
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  • author
    Aashnaafroz
    05 अक्टूबर 2019
    kuch kuch samjha, khi nasamajh bn gi mai , ek lamhe ka kisi ne kisi ke saath kirdaar jee liya..
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    12 मई 2018
    काल्पनिक। मेरी रचनाभी पढकर बताएं कैसी है।
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    Rajni Bansal
    22 अगस्त 2020
    very nice 👌👌👌👌👌