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तुम कब जाओगे, अतिथि!

4.5
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तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से निकलोगे मेरे मेहमान!तुम जिस सोफे पर टाँगें पसारे बैठे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर लगा है जिसकी ...

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लेखक के बारे में
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~Shiva~

एक गीत पलकों पे लिखना, एक गीत होंठो पे लिखना, यानि सारे गीत ह्रदय की, मीठी से चोटों पर लिखना, जैसे चुभ जाता कोई काँटा नंगे पाँव में, ऐसे गीत उतर आता, मेरे मन के गाँव में, जब भी मुँह ढक लेता हूँ,तेरे जुल्फों के छाँव में, कितने गीत उतर आते है,मेरे मन के गाँव में....!!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ashok Kumar
    21 मई 2024
    nice story
  • author
    ❤S.P 💚 "Shreya Pathikar"
    20 मई 2024
    अच्छी है👍
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    Ashok Kumar
    21 मई 2024
    nice story
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    ❤S.P 💚 "Shreya Pathikar"
    20 मई 2024
    अच्छी है👍