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तुम जानते हो न

4.5
2813

वक़्त जितनी तेजी से बदलता है उतनी ही तेजी से हमारे हालात खयालात भी बदल जाते है पर अतीत से जुड़े कुछ लम्हें इतने खास होते है कि उनका वजूद ज्यों का त्यों हमारे अंदर समा जाता है, उम्र की तमाम दहलीज़ों ...

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लेखक के बारे में

"संवेदना भरे शब्दों को नित नए आयाम मिले हे ईश्वर बस इतना कर कि मेरी कलम न रुके"

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pragya Bajpai
    16 ഏപ്രില്‍ 2019
    मैम सच कहूं तो आंखे भीग गई, आपका लेख सीधा दिल में उतर गया। मन करता है बार बार पढूं। सुन्दर और सटीक शब्दों का प्रयोग करके आप ने एक दर्द और प्रेम से परिपूर्ण कहानी को सम्पूर्ण बना दिया। जुबान से वाह नहीं आह! निकला। बेहतरीन, लाजवाब। मन तो करता है इस लेख पर कहानी से बड़ी समीक्षा लिख दूँ। धन्यवाद इसे लिखने के लिए जिसे पढ़कर मन कुछ शान्त कुछ आनन्दित हो गया।
  • author
    abha Tiwari
    10 സെപ്റ്റംബര്‍ 2021
    कहानी ने बहुत कुछ उद्वेलित कर दिया है। नायिका की कसक अपने भीतर से उठती महसूस हुई। अापके प्रत्येक शब्द, प्रत्येक वाक्य भावों और एहसासों की गंभीरता एवम गहराई लिए हैं।शायद प्रेम का यह रूप बहुतेरे अपने भीतर छिपाये घूम रहे हैं। पर नमन है उनके धैर्य और समर्पण को जो प्रेम और उसकी गरिमा दोनों को कम नहीं होने देते।आपकी सशक्त शब्दावली ,भावपूर्ण लेखन एवं विचारों की मौलिकता के लिए साधुवाद । बेहतरीन रचना
  • author
    पारुल
    24 ജൂണ്‍ 2021
    मैं और तुम के दर्द को समा लिया अपने अन्दर मैंने। काश वो मैं होती मैं जिसे कोई इतना चाहता जितना उस तुम ने चाहा। आपकी लेखनी का जादू चढ़ गया मुझपर।🙏🙏👌👌
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    Pragya Bajpai
    16 ഏപ്രില്‍ 2019
    मैम सच कहूं तो आंखे भीग गई, आपका लेख सीधा दिल में उतर गया। मन करता है बार बार पढूं। सुन्दर और सटीक शब्दों का प्रयोग करके आप ने एक दर्द और प्रेम से परिपूर्ण कहानी को सम्पूर्ण बना दिया। जुबान से वाह नहीं आह! निकला। बेहतरीन, लाजवाब। मन तो करता है इस लेख पर कहानी से बड़ी समीक्षा लिख दूँ। धन्यवाद इसे लिखने के लिए जिसे पढ़कर मन कुछ शान्त कुछ आनन्दित हो गया।
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    abha Tiwari
    10 സെപ്റ്റംബര്‍ 2021
    कहानी ने बहुत कुछ उद्वेलित कर दिया है। नायिका की कसक अपने भीतर से उठती महसूस हुई। अापके प्रत्येक शब्द, प्रत्येक वाक्य भावों और एहसासों की गंभीरता एवम गहराई लिए हैं।शायद प्रेम का यह रूप बहुतेरे अपने भीतर छिपाये घूम रहे हैं। पर नमन है उनके धैर्य और समर्पण को जो प्रेम और उसकी गरिमा दोनों को कम नहीं होने देते।आपकी सशक्त शब्दावली ,भावपूर्ण लेखन एवं विचारों की मौलिकता के लिए साधुवाद । बेहतरीन रचना
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    पारुल
    24 ജൂണ്‍ 2021
    मैं और तुम के दर्द को समा लिया अपने अन्दर मैंने। काश वो मैं होती मैं जिसे कोई इतना चाहता जितना उस तुम ने चाहा। आपकी लेखनी का जादू चढ़ गया मुझपर।🙏🙏👌👌