pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

तुम हो

4.4
1134

तुम हो ... बाँहों में तेरे मैं अब तो समाने लगा हूँ ... रूह में तेरे मैं बसने लगा हूँ.... पागल सा ठहरा हुआ बादल हूँ मैं तो... रिमझिम फुहारों सा बसने लगा हूँ.. हर पल अब तेरे सपने सजाने लगा हूँ... ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Balkrishan Kuniyal

नमस्कार दोस्तों......मन की तरंगों और जज्बातों को पंक्तियों में सहेज कर पढ़ने के लिए मुझसे जुड़ें ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा !!! संपर्क: [email protected]

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    kanak
    03 अक्टूबर 2018
    awesome
  • author
    Usha Thapa
    17 जनवरी 2018
    💕
  • author
    dilip benwal
    08 दिसम्बर 2019
    बज़्म-ए-तन्हाई में ................. न दीद है न सुख़न अब न हर्फ़ है न पयाम कोई हीला-ए-तस्कीन है और आस बहुत है उम्मीद-ए-यार नज़र का मिज़ाज दर्द का रंग तुम आज कुछ भी न पूछो कि उदास बहुत है....
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    kanak
    03 अक्टूबर 2018
    awesome
  • author
    Usha Thapa
    17 जनवरी 2018
    💕
  • author
    dilip benwal
    08 दिसम्बर 2019
    बज़्म-ए-तन्हाई में ................. न दीद है न सुख़न अब न हर्फ़ है न पयाम कोई हीला-ए-तस्कीन है और आस बहुत है उम्मीद-ए-यार नज़र का मिज़ाज दर्द का रंग तुम आज कुछ भी न पूछो कि उदास बहुत है....