तुम हो ... बाँहों में तेरे मैं अब तो समाने लगा हूँ ... रूह में तेरे मैं बसने लगा हूँ.... पागल सा ठहरा हुआ बादल हूँ मैं तो... रिमझिम फुहारों सा बसने लगा हूँ.. हर पल अब तेरे सपने सजाने लगा हूँ... ...
नमस्कार दोस्तों......मन की तरंगों और जज्बातों को पंक्तियों में सहेज कर पढ़ने के लिए मुझसे जुड़ें ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा !!!
संपर्क: [email protected]
सारांश
नमस्कार दोस्तों......मन की तरंगों और जज्बातों को पंक्तियों में सहेज कर पढ़ने के लिए मुझसे जुड़ें ...आपके सुझावों और प्रतिक्रियाओं का मुझे बेसब्री से इंतजार रहेगा !!!
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बज़्म-ए-तन्हाई में .................
न दीद है न सुख़न अब न हर्फ़ है न पयाम
कोई हीला-ए-तस्कीन है और आस बहुत है
उम्मीद-ए-यार नज़र का मिज़ाज दर्द का रंग
तुम आज कुछ भी न पूछो कि उदास बहुत है....
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