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तुम

4.0
1026

तुम केवल तुम हो, स्रष्टा की अनूठी कृति, तुम न अमीर हो, ना गरीब ना खूबसूरत ना बदसूरत ना भाग्यशाली ना ही भाग्यहीन क्योंकि तुलना दूसरों के साथ गढ़ती है इन शब्दों को लेकिन तुम अतुलनीय हो विलक्षण ...

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लेखक के बारे में

व्याख्याता राजनीति विज्ञान एम.एस.जे. काॅलेज, भरतपुर प्रकाशित पुस्तकें - 1. गांधी दर्शन: विविध आयाम 2. भारतीय वामपंथ और हिंदी उपन्यास 3. दो कविता संग्रह 4. ’121 लघुकथाएं‘ पुस्तक में 11 लघुकथाएं प्रकाशित। 5. 13 बाल पुस्तकें (कविता एंव कहानी संग्रह) 6. एक कहानी संग्रह

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    01 सितम्बर 2020
    सुन्दर अभिव्यक्ति ।
  • author
    Renu
    21 जून 2018
    Vahhhh,
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    22 अक्टूबर 2015
    स्रष्टा शब्द ही पर्याप्त है प्रशंसा हेतु । राष्ट्र भाषा का कोई ध्यान न रखती नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
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    अरविन्द सिन्हा
    01 सितम्बर 2020
    सुन्दर अभिव्यक्ति ।
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    Renu
    21 जून 2018
    Vahhhh,
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    22 अक्टूबर 2015
    स्रष्टा शब्द ही पर्याप्त है प्रशंसा हेतु । राष्ट्र भाषा का कोई ध्यान न रखती नितांत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।