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तुम बिन 2

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जिंदगी बेनूर लगती है तुम बिन, उजड़ा चमन लगती है तुम बिन, फीके दिलकश नजारे तुम बिन, न जीते है न मरते हैं तुम बिन। ...

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लेखक के बारे में
author
Sandhya Bajaj

मेरी जन्मभूमि और ह्र बससुराल अबोहर पंजाब और कर्मभूमि हनुमानगढ़ राजस्थान रही है।मैने हिंदी साहित्य में एम.ए.,बी.एड.किया है।पति महोदय वकील है और हनुमानगढ़ में ही प्रैक्टिस करते है।मेरे दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी।दोनों ही शादीशुदा और अपने करियर में व्यवस्थित है।लंबे समय तक हनुमान गढ़ के प्रतिष्ठित विद्यालय में शिक्षण कार्य करने के बाद बेटी की शादी के बाद स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली।एक छोटे शहर में रहने के कारण हर समय किसी छुपे हुए जासूस की उपस्थिति का अहसास होता रहता था, इस लिए अब कुछ समय से बेटे के साथ महानगर में रहते हुए मनचाही जिंदगी जीने का लुत्फ उठा रही हूँ।

समीक्षा
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  • author
    निरंजना जैन
    18 अप्रैल 2023
    बेहतरीन भावसृजन संध्या जी।👍👌👌👌
  • author
    18 अप्रैल 2023
    बहुत ही सुन्दर और सार्थक पंक्तियां लिखी आपने मेम 👌👌👌👏👏👏🥀🥀🥀🌺🥀🥀🥀🙏🙏 राधे-राधे 🙏🙏✍️✍️💯✍️✍️
  • author
    Balram Soni
    17 अप्रैल 2023
    बहुत ही शानदार पंक्तियां लिखी हैं 🙏🌹जय श्री राधे कृष्णा🌹🙏
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    निरंजना जैन
    18 अप्रैल 2023
    बेहतरीन भावसृजन संध्या जी।👍👌👌👌
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    18 अप्रैल 2023
    बहुत ही सुन्दर और सार्थक पंक्तियां लिखी आपने मेम 👌👌👌👏👏👏🥀🥀🥀🌺🥀🥀🥀🙏🙏 राधे-राधे 🙏🙏✍️✍️💯✍️✍️
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    Balram Soni
    17 अप्रैल 2023
    बहुत ही शानदार पंक्तियां लिखी हैं 🙏🌹जय श्री राधे कृष्णा🌹🙏