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तुझे क्या हक़ है

4.8
404

चीर डालूँ मैं, फाड़ डालूँ मैं , खून से लथपथ कर दूँ तुझे ये दंगे का हल्ला है,जहाँ लड़ने वाले लड़ रहे मैं हाँफ हाँफ कर भाग भाग कर दोनों के बीच में आई रुक जाओ, मत मारो काटो, तुम दोनों तो हो भाई भाई ए ...

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लेखक के बारे में
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नेहा रस्तोगी
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    29 செப்டம்பர் 2019
    अतिसुंदर प्रस्तुति बधाई हो जय माता दी कृपया स्नेह स्वरूप मेरी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करे समीक्षा की प्रतीक्षा रहेगी जय माता दी आभार
  • author
    Naveen Pawar
    22 ஜனவரி 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    Seema Kumari
    10 மே 2020
    bahut hi sundar lekhni or bhav purn h ,,,bdhai ho 😊
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    29 செப்டம்பர் 2019
    अतिसुंदर प्रस्तुति बधाई हो जय माता दी कृपया स्नेह स्वरूप मेरी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करे समीक्षा की प्रतीक्षा रहेगी जय माता दी आभार
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    Naveen Pawar
    22 ஜனவரி 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
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    Seema Kumari
    10 மே 2020
    bahut hi sundar lekhni or bhav purn h ,,,bdhai ho 😊