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तू धरती पे चाहे जहां भी रहेगी...

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आज रेशम के कीट से मिले...सोचा आपको भी रूबरू करा दें...फिर दिमाग मे आया कि लाओ हम आंतरिक संवेदनाये भी कह दे....ये भाई साहब अपनी महोतरमा को कई किलो मीटर पहले उसकी  खुशबू से पहचान लेते है...आज समझ आया ...

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लेखक के बारे में
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PRAVEEN KUMAR

मिट्टी का कच्चा बर्तन हूँ अभी तप रहा हूँ.....

समीक्षा
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  • author
    28 अक्टूबर 2021
    ✍️🙏❣️🎉🤗♥️🌹🤔🤔🤔🛐♥️🤗🎉❣️🙏💕💘👌🙏✍️
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    Harjit Kaur
    28 अक्टूबर 2021
    😂😂बहुत खूब जी
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    28 अक्टूबर 2021
    ✍️🙏❣️🎉🤗♥️🌹🤔🤔🤔🛐♥️🤗🎉❣️🙏💕💘👌🙏✍️
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    Harjit Kaur
    28 अक्टूबर 2021
    😂😂बहुत खूब जी