चंडीगढ़ में एक कजिन बहन की शादी थी । सारे घर वाले तो पहले ही जा चुके थे बस मुझे ही ऑफिस से छुट्टी नहीं मिल पाई तो मैं शादी के एक दिन पहले ही जा रही थी। ऑफिस से छूटने के बाद वही से सीधा स्टेशन ...
आपका लिखने का अंदाज बहुत शानदार है। बहुत ही बेहतरीन ढंग से कहानी को लिखा है पढ़कर बहुत-बहुत अच्छा लगा बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति है आपकी
वाह लाजवाब वाह 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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बहुत ही खूबसूरत माहौल सेट किया है तुमने डर का,,
एक समय तो मुझे आभास हुआ की कहीं यह घटना सचमुच तो आसपास नहीं हो रही है।
खैर तुम्हारी स्टोरी पढ़ कर एक पास शेयर करना चाहूंगी मैं और मेरे पति ट्रेन के रास्ते हनीमून के लिए दिल्ली जा रहे थे,
मुझे ट्रेन का एक्सपीरियंस कम था,,
हम लोगों ने सीट तो बुक तो कराई थी,,
पर शायद भीड़ की वजह से एक लाश को कोने में सुला दिया गया था,,
मैं नहीं जानती थी की ये लाश है,,
मैं सुद्दनली वहां पर बैठ गई,,
पति ने मुझे दो-तीन बार इशारा किया पर इसारे को मैं नहीं समझ पाई थी और वहीं बैठी रही तब उन्होंने मुझे गुस्से से वहां से हटाया और कान में बताया कि यह लाश है।
आज भी जब यह घटना याद आती है तो डर लगता है
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सपना या हकीकत मेरे।भी समझ में।नहीं आया बट जो लिखा डर का माहौल क्रिएट हुआ ऐसे लगा सच में मुर्दे के ट्रेन में सफर कर रहे हैं आप एक। अच्छी रचनाकार हो कहानी से पता चलता है लिखते रहिए गा। बट ट्रेन में सफर करने वाला जेंट्स था या लेडीज थी मुझे तो पता ही नहीं चला आइंदा खयाल रखें मुख पात्र सही लिखना चाहिए
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