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... टूटी सड़क और टूटा दिल !.!

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... सड़क टूटती है .! जहा होगा दलदल .! अक्सर देखते हैं .! होता हैं ऐसा .! ..दिल टूटता है .! जब समानता न .! हो दोनो दिलो .! के अंदर .! ..सड़क को बनाते .! डामर गिट्टी मिलाकर .! हर साल टूटती वही है ...

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लेखक के बारे में
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Suresh Upadhyay

चना चबैना सबको देता 🙏 दाता ये करतार बनारस 🙏 यहां बैठ कर मुक्ति बाटता 🙏 जग का पालन हार बनारस 🙏 मरना यहां सुमंगल होता 🙏 और मृत्यु श्रृंगार बनारस 🙏 हर काशी वाशी रखता है 🙏 ठेंगे पर संसार बनारस 🙏 यहां गुरु सब चेला 🙏 लगता हैं रंगदार बनारस🙏 मीठी बोली इतनी प्यारी 🙏 सब जाते खुद को हार बनारस🙏

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    15 दिसम्बर 2021
    दिल टूटने और सड़क टूटने का अद्भुत साम्य प्रस्तुत किया है आपने उपाध्याय जी । बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
  • author
    Pratibha Jain
    15 दिसम्बर 2021
    सुन्दर
  • author
    15 दिसम्बर 2021
    वाह बहुत खूब
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    15 दिसम्बर 2021
    दिल टूटने और सड़क टूटने का अद्भुत साम्य प्रस्तुत किया है आपने उपाध्याय जी । बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
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    Pratibha Jain
    15 दिसम्बर 2021
    सुन्दर
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    15 दिसम्बर 2021
    वाह बहुत खूब