वे और लोग होंगे, जो डर डर के जीते हैं यहां , मुझे तो हर घड़ी नहीं चुनौतियों का इंतजार है...... तूफान से टकरा कर किनारे लगी है कश्ती मेरी, अब तो समंदर की लहरों से बहुत प्यार है..... मैं अब नहीं उलझी ...
बेहद खुबसूरत लिखा है आपने.....
शब्दो और भावनाओ का बेहतरीन समन्वय स्थापित किया है
आपसे गुजारिश है मेरी भी रचना को पढ़ कर अपना अनुभव साझा करे
धन्यवाद। https://hindi.pratilipi.com/story/कौन-किसका-और-क्या-wvadahghegps?utm_source=android
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