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◆ टिप्पणी. ◆

3.8
29

हम ना!. आपकी रचना से,,प्यार करते हैं..और आपसे भी,,, कहना तो चाहते थे...बहुत पहले मगर!..सर था कहीं तुम,,रूठ न जाओ..!इसलिए भी,,कभी टिप्पणी न की,,अब जब..मैं !हाँ ..मैं जाने जाने लगा लगा हूँ,,,,इस लेखन ...

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संदीप साहू

* शब्द की टोली मेरे घर खेलते हैं और आंगन में बैठ!मज़े लेता हूँ😜🤣🤣 बस!हंसने हँसाने को,बहाने ढूंढता हूं😛 *किसी उदास चेहरे को हंसा पाऊं,तो मेरा सौभाग्य होगा। ●मेरी रचना से छेड़छाड़/चोरी करने पर जेल जाने तैयार रहें। ◆संदीप साहू"प्रणय" ◆ भिलाई(छत्तीसगढ़)◆

समीक्षा
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  • author
    19 सितम्बर 2019
    Good टिप्पणी भी प्रेमालाप भी
  • author
    19 सितम्बर 2019
    बहुत खूब
  • author
    Dr.Shubhra Varshney
    19 सितम्बर 2019
    👌👌👌👌
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    19 सितम्बर 2019
    Good टिप्पणी भी प्रेमालाप भी
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    19 सितम्बर 2019
    बहुत खूब
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    Dr.Shubhra Varshney
    19 सितम्बर 2019
    👌👌👌👌