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ठुकरा दो या प्यार करो

4.7
1822

देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं। सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं।। धूमधाम से साजबाज से वे मन्दिर में आते हैं। मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुएँ लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।। मैं ही हूँ ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : सुभद्रा कुमारी चौहान जन्म : 16 अगस्त 1904, इलाहाबाद(उत्तर प्रदेश) देहावसान : 15 फरवरी 1948, जबलपुर(मध्य प्रदेश) भाषा : हिन्दी विधाएँ : कविता, कहानी सुभद्रा कुमारी चौहान एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं हिन्दी भाषा की एक सुप्रसिद्ध रचनाकार हैं, इनकी कविता झाँसी की रानी एक कालजयी रचना मानी जाती है। इनके सम्मान में भारत सरकार ने एक डाक टिकट जारी किया हुआ है, और साथ ही साथ भारतीय नवसेना ने अपने एक तट-रक्षक जहाज का नाम भी इनके नाम पर रखा है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    निक्की सिंह
    06 अक्टूबर 2019
    लिखने को शब्द नहीं मिल रहे
  • author
    राजीव पारीक
    05 जनवरी 2023
    स्वयं को ईश्वर को अर्पित करना ही सच्ची भक्ति है। चढ़ावा केवल दिखावा होता है। बहुत ही सुंदर रचना!
  • author
    30 नवम्बर 2020
    आपको समीक्षा में क्या लिखूं कुछ समझ में नही आ रहा। बहुत अच्छा लगा आपका रचना पढ़कर।
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    निक्की सिंह
    06 अक्टूबर 2019
    लिखने को शब्द नहीं मिल रहे
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    राजीव पारीक
    05 जनवरी 2023
    स्वयं को ईश्वर को अर्पित करना ही सच्ची भक्ति है। चढ़ावा केवल दिखावा होता है। बहुत ही सुंदर रचना!
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    30 नवम्बर 2020
    आपको समीक्षा में क्या लिखूं कुछ समझ में नही आ रहा। बहुत अच्छा लगा आपका रचना पढ़कर।