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ठेले वाले भैया

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ठेले वाले भैया ठेले वाले भैया तेरे रूप निराले कभी तू सब्जी तो कभी पानी के बताशे ले आते कभी लगाते चूड़ी लेलो की आवाजें कभी खिलौने और घरेलू सामान ले आते बच्चों को लुभाने के तुम्हे बहुत करतब आते ...

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लेखक के बारे में
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डॉ रेनु सिंह

उम्र के उस पड़ाव पर हूँ जहाँ अनुभवों के अलावा जीवन में कोई आकांक्षा, इच्छा नहीं रहती।जब मन कुछ भटकने लगता है, कुछ ढूंढने लगता है तो शब्दों का सहारा लेना ही उचित लगता है। मैंने संस्कृत में Ph D की है लेकिन नाम के साथ Dr नहीं लगाया। शादी के 30 साल बाद प्रतिलिपि के मंच पर जब लिखने का प्रयास किया तो लेखन के शैशव काल मे डिग्री का नाम देना कुछ अटपटा सा लगा। भाव और विचार आने ही क्षीण हो गए थे। प्रतिलिपि के एक से एक अच्छे लेखकों को पढ़ कर उनके बीच अपना अस्तित्व बनाये रखने की जद्दोजहद करती हूँ ।सफलता या असफलता आप की समीक्षा पर आधारित होती है। आप लोगों से जुड़ कर लगा कि लेखकों के इस विस्तृत समूह को अपनी शिक्षा से परिचित तो करा ही सकती हूँ। प्रतिलपी के मित्रों के सहयोग से मेरा मार्गदर्शन होता रहे इसी कामना के साथ आप सभी का अभिनन्दन करती हूँ। प्रतिलिपि के कुछ स्नेहिल पाठकों और लेखिका वीनू आहूजा जी ने मुझसे अनुरोध किया कि मैं अपने नाम के आगे डॉ लगाऊँ। इसलिये आज उनकी इच्छा रखते हुए मैंने अपनी प्रोफाइल में नाम डॉ रेनु सिंह कर दिया है।

समीक्षा
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    Hemalata Godbole
    23 फ़रवरी 2021
    रेनू आप हर विषय पर लिख लेती हो। ठेलेवाला तो उसी परीर संसार भी ल चलता हैमैने तो उसमेलटते छोटे से झूले मे बच्चे को झुलाते देखा ।साथ पत्नी एकतरफकुऊखान का इंतज़ाम अरती और वो चीजे बेचता ,चाहे सबजी खिलौने प्लास्टिक के सामान, रेडिमेड कपडे चूडियां गहने फूल या पानी पूरी वडापाव ।ठेले पर दुनिया कैसे सजती है देखनेलायक है ।शुभचिंतन
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    23 फ़रवरी 2021
    भई वाह,, विषय कोई भी हो, आप बखूबी हर विषय पर लिख लेती है,, ज़वाब नहीं आपके लेखन का, आज भी विषय का बहुत सुन्दरता से उल्लेख किया है आपने,,, 👍💐🙏😊 ऐसे ही हमेशा सुंदर सुंदर लिखते रहिए,, खुश रहिए,, मुस्कराते रहिए,,, सादर प्रणाम आपको,,, 😊🙏😊
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    Nikhat
    23 फ़रवरी 2021
    वो दिन भी क्या दिन थे। सही कहा आपने। पहले जब कॉलोनी में ठेले आते थे, तो इसी बहाने सब लेडीज़ थोड़ा बतिया लेती थी, कितना प्रेम होता था उनमें।👌👌👍👌बढ़िया लिखा
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    Hemalata Godbole
    23 फ़रवरी 2021
    रेनू आप हर विषय पर लिख लेती हो। ठेलेवाला तो उसी परीर संसार भी ल चलता हैमैने तो उसमेलटते छोटे से झूले मे बच्चे को झुलाते देखा ।साथ पत्नी एकतरफकुऊखान का इंतज़ाम अरती और वो चीजे बेचता ,चाहे सबजी खिलौने प्लास्टिक के सामान, रेडिमेड कपडे चूडियां गहने फूल या पानी पूरी वडापाव ।ठेले पर दुनिया कैसे सजती है देखनेलायक है ।शुभचिंतन
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    23 फ़रवरी 2021
    भई वाह,, विषय कोई भी हो, आप बखूबी हर विषय पर लिख लेती है,, ज़वाब नहीं आपके लेखन का, आज भी विषय का बहुत सुन्दरता से उल्लेख किया है आपने,,, 👍💐🙏😊 ऐसे ही हमेशा सुंदर सुंदर लिखते रहिए,, खुश रहिए,, मुस्कराते रहिए,,, सादर प्रणाम आपको,,, 😊🙏😊
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    Nikhat
    23 फ़रवरी 2021
    वो दिन भी क्या दिन थे। सही कहा आपने। पहले जब कॉलोनी में ठेले आते थे, तो इसी बहाने सब लेडीज़ थोड़ा बतिया लेती थी, कितना प्रेम होता था उनमें।👌👌👍👌बढ़िया लिखा