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द थर्ड जेंडर

4.3
342

सनडे सुबह जब हम कर रहे थे स्नान अचानक गेट बजा खड़े हो गये कान खिड़की से देखा तो बाहर कुछ मुस्टंडे खड़े थे उनके चक्षु हमारे गेट पर ही गड़े थे हमने पूछा कौन वो रहे मौन हमें बाहर आता न देख उनमें से ...

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लेखक के बारे में
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सौरभ

उपेक्षित हृदय की पुकार हूँ, साहब मैं एक व्यंग्यकार हूँ ....

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Brahmwati Sharma
    24 अप्रैल 2022
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति करण एवं सराहनीय प्रेरणा दायक रचना इस रचना मे आपने जीवन का कटु सत्य उजागर किया है आपके उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ ऐसे ही सुन्दर रचनाएँ करते रहें।
  • author
    गंगा राम
    08 नवम्बर 2024
    ("बहुत ही मार्मिक, बेहतरीन और शानदार रचना, अगर आपको समय मिले तो मेरी रचनाओं को भी अवश्य पढ़े.")
  • author
    प्रिया सिंह "Life🧬"
    02 अक्टूबर 2018
    एक बहुत ही संवेदनशील टॉपिक पर लिखा है, और सारे पहलु को बारीकी से दिखाया है ।अच्छी रचना
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    Brahmwati Sharma
    24 अप्रैल 2022
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति करण एवं सराहनीय प्रेरणा दायक रचना इस रचना मे आपने जीवन का कटु सत्य उजागर किया है आपके उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ ऐसे ही सुन्दर रचनाएँ करते रहें।
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    गंगा राम
    08 नवम्बर 2024
    ("बहुत ही मार्मिक, बेहतरीन और शानदार रचना, अगर आपको समय मिले तो मेरी रचनाओं को भी अवश्य पढ़े.")
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    प्रिया सिंह "Life🧬"
    02 अक्टूबर 2018
    एक बहुत ही संवेदनशील टॉपिक पर लिखा है, और सारे पहलु को बारीकी से दिखाया है ।अच्छी रचना