सनडे सुबह जब हम कर रहे थे स्नान अचानक गेट बजा खड़े हो गये कान खिड़की से देखा तो बाहर कुछ मुस्टंडे खड़े थे उनके चक्षु हमारे गेट पर ही गड़े थे हमने पूछा कौन वो रहे मौन हमें बाहर आता न देख उनमें से ...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति करण एवं सराहनीय प्रेरणा दायक रचना इस रचना मे आपने जीवन का कटु सत्य उजागर किया है आपके उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ ऐसे ही सुन्दर रचनाएँ करते रहें।
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