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राज जो हैं तुम्हारे दिल में....

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राज जो हैं तुम्हारे दिल में छिपे... यूं बताने में न मुझको हिचकिचाइए... कह दीजिए जो भी कहना बेहिचक... होठ सिलकर यूं न मुझे सताइए... कब से चाहता हूं तुमसे सुनना बहुत कुछ... आंखों से बोलकर ही बता ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    04 ಆಗಸ್ಟ್ 2024
    मोहब्बत की यही दास्तान है।
  • author
    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    01 ಫೆಬ್ರವರಿ 2020
    अच्छी रचना।कृपया मेरी रचनाये भी पढे।
  • author
    Kaushal Kishore singh
    05 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2022
    अच्छा है
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    04 ಆಗಸ್ಟ್ 2024
    मोहब्बत की यही दास्तान है।
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    PANKAJ KUMAR SRIVASTAVA
    01 ಫೆಬ್ರವರಿ 2020
    अच्छी रचना।कृपया मेरी रचनाये भी पढे।
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    Kaushal Kishore singh
    05 ಅಕ್ಟೋಬರ್ 2022
    अच्छा है