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सर्वस्व

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सरकारी अध्यापिका नीलिमा आज अस्पताल की बर्न यूनिट में पट्टियों के लबादे से ढकी हुई अचेतन अवस्था मे लेटी थी।पूरा शरीर मिर्च की तरह जल रहा था।अश्रुधार निकलने के अलावा कोई भी कार्य बिना दूसरे की ...

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लेखक के बारे में
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jagadeesh chandra shrivastava

जगदीश चंद्र श्रीवास्तव एक लेखक और कवि हैं जिनका जन्म 20/09/1991 को शाहगंज जनपद जौनपुर में हुआ था।वर्तमान में उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के निवासी हैं।प्रेम इनका काव्य के लिए सर्वाधिक पसंदीदा विषय रहा है और सामाजिक पारिवारिक पृष्ठभूमि की कहानियां लेखन में इनको बहुत भाती हैं।आप इनके फ़ेसबुक पेज काव्यञ्जली को लाइक कर इनकी रचनाओं का लुत्फ उठा सकते हैं।हमारे फेसबुक पेज काव्यञ्जली https://www.facebook.com/kavyaanjalijags/को फॉलो और लाइक करना ना भूलें।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anuradha Bhati
    03 नवम्बर 2018
    पहले ही वो अपने पति के प्यार को समझ लेती तो शायद ये हाल ना होता..
  • author
    Rishabh Pandey
    30 मई 2018
    अतुल्य अतभुद कहानीकार ने एक एक शब्द को प्रेम और एहसास की चासनी में पिरोकर जो मधुमय और मादक कहानी रची है वह तारीफ के काबिल है ! आप सब जरूर पढ़ें आज की कहानी
  • author
    shantanu sharma
    11 मार्च 2018
    मेरे पास वैचारिक संयोजन और अभिव्यक्ति की कमी रही है, पर इतना ही कहूँगा कि कथा अंतर्मन को छू गयी
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    Anuradha Bhati
    03 नवम्बर 2018
    पहले ही वो अपने पति के प्यार को समझ लेती तो शायद ये हाल ना होता..
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    Rishabh Pandey
    30 मई 2018
    अतुल्य अतभुद कहानीकार ने एक एक शब्द को प्रेम और एहसास की चासनी में पिरोकर जो मधुमय और मादक कहानी रची है वह तारीफ के काबिल है ! आप सब जरूर पढ़ें आज की कहानी
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    shantanu sharma
    11 मार्च 2018
    मेरे पास वैचारिक संयोजन और अभिव्यक्ति की कमी रही है, पर इतना ही कहूँगा कि कथा अंतर्मन को छू गयी