ठंडा गोश्त सआदत हसन मंटो ईश्वर सिंह ज्यों ही होटल के कमरे में दांखिला हुआ, कुलवन्त कौर पलंग पर से उठी। अपनी तेज-तेज आँखों से उसकी तरफ घूरकर देखा और दरवाजे की चिटखनी बन्द कर दी। रात के ...
बरसात में छत भीगी
और तन्हाई में बिस्तर
जो भी लिखते हो,कमाल लिखते हो
तुम कलम से नहीं अहसासो से लिखते हो
दिल तुम्हारा दो टुकड़ो में बट्टा होगा
इसी लिए तुम सिहाई से नहीं लहू से लिखते हो
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rocky_christian80
सारांश
बरसात में छत भीगी
और तन्हाई में बिस्तर
जो भी लिखते हो,कमाल लिखते हो
तुम कलम से नहीं अहसासो से लिखते हो
दिल तुम्हारा दो टुकड़ो में बट्टा होगा
इसी लिए तुम सिहाई से नहीं लहू से लिखते हो
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रिपोर्ट की समस्या
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