ईश्वरसिंह ज्यों ही होटल के कमरे में दांखिला हुआ, कुलवन्त कौर पलंग पर से उठी। अपनी तेज-तेज आँखों से उसकी तरफ घूरकर देखा और दरवाजे की चिटखनी बन्द कर दी। रात के बारह बज चुके थे। शहर का वातावरण एक अजीब ...
सआदत हसन मंटो ,( जन्म:11 मई, 1912, समराला, पंजाब; मृत्यु: 18 जनवरी, 1955, लाहौर) कहानीकार और लेखक थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे।
सारांश
<p><strong>सआदत हसन मंटो</strong> ,( जन्म:11 मई, 1912, समराला, पंजाब; मृत्यु: 18 जनवरी, 1955, लाहौर) कहानीकार और लेखक थे। मंटो फ़िल्म और रेडियो पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे।</p>
मंटो ने अपनी घटिया मानसिकता का अच्छा परिचय दिया है और बंटवारे का जो दर्द हिन्दू और सिखों ने सहा उसे दबा कर अपनी कौम को क्लीन चिट देने का काम किया और जो अलग पाकिस्तान लेने के लिए जो कत्लेआम उन्होंने किया उसे छिपाने का प्रयास किया और दुसरे धर्म के लोगों को छः लोगों का कातिल लिख दिया (घटिया सोच)
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ये एक कम रेटिंग भी उसकी वजह से है जिसने इस कहानी को यहाँ प्रतिलिपि पर छापा. इतनी अच्छी कहानी को कम से कम चार बार प्रूफ रीड करना चाहिए. उर्दू शब्दों के साथ छेड़ छाड़ नहीं करनी चाहिए थी! कहानी की आत्मा हर लेते हो जब बालाई होंठों को उपरी होंठ लिखते हो! ये ध्यान में रखो जो मंटो को पढ़ने का खतरा मोल लेगा वो उर्दू के शब्दों को भी ढूँढने की कोशिश करेगा!
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बंटवारे की लूट मार, औरतों लड़कियों के बलात्कार के दर्द में सनी यह कहानी उस समय की सामाजिक विघटनकारी शक्तियों के अत्याचारों को बयान करती है। इन्हीं लाशों के ढेरों पर कांग्रेस ने अपना राजनैतिक सफर तय किया है। आखिर वो भी इन लाखों हत्याओं और करोड़ों लोगों के विस्थापन के जिम्मेदार है।
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मंटो ने अपनी घटिया मानसिकता का अच्छा परिचय दिया है और बंटवारे का जो दर्द हिन्दू और सिखों ने सहा उसे दबा कर अपनी कौम को क्लीन चिट देने का काम किया और जो अलग पाकिस्तान लेने के लिए जो कत्लेआम उन्होंने किया उसे छिपाने का प्रयास किया और दुसरे धर्म के लोगों को छः लोगों का कातिल लिख दिया (घटिया सोच)
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