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"तेरी याद..."

3.8
777

भोर की लालिमा में बहती ठंडी हवा में कड़क चाय की चुस्की संग तेरी याद आ ही जाती है.. दिनभर की ऊहापोह में कुछ पाने की कोशिश में चलती खट्टी-मीठी चुहलबाजी संग तेरी याद आ ही जाती है.. ढलते सूरज के साये ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    राजू "लेखक"
    12 दिसम्बर 2019
    प्रेम भाव में डूबा हुआ यह वर्णन कुछ अपनों का याद दिलाता है। .........बहुत खूब
  • author
    Mahesh Dwivedi
    23 जनवरी 2020
    अच्छी कविता को सुंदर शब्दों में पिरोया है
  • author
    Avinash gupta
    03 जनवरी 2019
    bahut sundar rachna👌👌👌
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    राजू "लेखक"
    12 दिसम्बर 2019
    प्रेम भाव में डूबा हुआ यह वर्णन कुछ अपनों का याद दिलाता है। .........बहुत खूब
  • author
    Mahesh Dwivedi
    23 जनवरी 2020
    अच्छी कविता को सुंदर शब्दों में पिरोया है
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    Avinash gupta
    03 जनवरी 2019
    bahut sundar rachna👌👌👌