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तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे

4.1
2887

तो यह उसने आखिरी पत्ता फेंका है, कि उम्र से उसे कोई ऐतराज़ नहीं, कि उसके बड़ी होने से उसे कोई परहेज़ नहीं, परहेज़ है उसमें उम्र के हिसाब की गंभीरता न होने से. क्या इतनी बड़ी होने पर भी वह चंचलता और ...

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लेखक के बारे में
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मणिका मोहिनी

एम्.ए.- दिल्ली विश्वविद्यालय रचनाएं – प्रेम प्रहार – काव्य संकलन मेरा मरना – काव्य संकलन कटघरे में – काव्य संकलन ख़त्म होने के बाद – कहानी संग्रह अभी तलाश जारी है – कहानी संग्रह अपना –अपना सच – कहानी संग्रह अन्वेषी – कहानी संग्रह स्वप्न दंश – कहानी संग्रह ये कहानियां – कहानी संग्रह ढाई आखर प्रेम का – कहानी संग्रह जग का मुजरा – कहानी संग्रह पारो ने कहा था – उपन्यास प्रसंगवश – लेख संग्रह अगेय;एक मूल्याङ्कन – सम्पादन उसका बचपन – नाट्य रूपान्तरण तेरह कहानियां – सम्पादन 5 अन्य पुस्तकें प्रकाशनाधीन

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    20 सप्टेंबर 2017
    एक बेवफा प्रेमी के परित्याग के साथ कसमकस भरी जिन्दगी जीती औरत की भावनाओं का सुन्दर निरूपन हुआ है, इस कहानी मे ।
  • author
    Nandkishore Dubey
    21 ऑक्टोबर 2019
    कहानी आयु भेद के असफल प्रेम पर अच्छी बन पड़ी है । अधिक आयु की प्रेमवंचिता नायिका ने कम आयु के प्रेमी से काफी कुछ पाया,जिसे वो हमेशा के लिए पाते रहना चाहती थी जो सम्भव नही हो पाया । नारी सबकुछ सदैव के लिए हांसिल करना चाहती है,जो बेमेल सम्बन्धों में कैसे सम्भव है ? लेकिन नारी नारी है फिर भले वह कितनी भी बुद्धिजीवी ही क्यों न हो । यही कथा से उपलब्ध हुवा ।
  • author
    Usha sahu
    31 डिसेंबर 2020
    achhi kahani h ...jivan me aisa bhi mod aa sakta h jaha sab jante bujhte bhi sahi galt ka fark samjh nhi aata..aur jab samjh aata h tab koi faisla le pana bahut mushkil ho jata h
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    20 सप्टेंबर 2017
    एक बेवफा प्रेमी के परित्याग के साथ कसमकस भरी जिन्दगी जीती औरत की भावनाओं का सुन्दर निरूपन हुआ है, इस कहानी मे ।
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    Nandkishore Dubey
    21 ऑक्टोबर 2019
    कहानी आयु भेद के असफल प्रेम पर अच्छी बन पड़ी है । अधिक आयु की प्रेमवंचिता नायिका ने कम आयु के प्रेमी से काफी कुछ पाया,जिसे वो हमेशा के लिए पाते रहना चाहती थी जो सम्भव नही हो पाया । नारी सबकुछ सदैव के लिए हांसिल करना चाहती है,जो बेमेल सम्बन्धों में कैसे सम्भव है ? लेकिन नारी नारी है फिर भले वह कितनी भी बुद्धिजीवी ही क्यों न हो । यही कथा से उपलब्ध हुवा ।
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    Usha sahu
    31 डिसेंबर 2020
    achhi kahani h ...jivan me aisa bhi mod aa sakta h jaha sab jante bujhte bhi sahi galt ka fark samjh nhi aata..aur jab samjh aata h tab koi faisla le pana bahut mushkil ho jata h