मैं बिखरी परछाइयों से....., तेरा पता पूछता रहा! सब तेरा....... अक्स बयां करती रही... मुकम्मल पता...... किसी को याद नहीं"!! चंद ख्याल चंद उम्मीदें... इस मासूम दिल की! तुम औरों पर ...
क्यूँ ऐसा होता है दर्द -ए -दिल के साथ
जिसे समझना होता है वही कभी समझता नहीं
कोई गुम रहता है सुकून -ए -जहाँ मे हर पल
और किसीको हासिल -ए -एक लम्हा तक नहीं..!!
बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत superb लिखा है भाई 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
अपने प्रिय लेखक को सब्सक्राइब करें और सुपरफैन बनें !
क्यूँ ऐसा होता है दर्द -ए -दिल के साथ
जिसे समझना होता है वही कभी समझता नहीं
कोई गुम रहता है सुकून -ए -जहाँ मे हर पल
और किसीको हासिल -ए -एक लम्हा तक नहीं..!!
बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत superb लिखा है भाई 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
अपने प्रिय लेखक को सब्सक्राइब करें और सुपरफैन बनें !
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या