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"तेरा पता"

4.8
10

मैं   बिखरी   परछाइयों  से....., तेरा   पता   पूछता  रहा! सब  तेरा....... अक्स  बयां  करती  रही... मुकम्मल पता...... किसी को याद नहीं"!! चंद ख्याल चंद उम्मीदें... इस मासूम दिल की! तुम औरों पर ...

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लेखक के बारे में

दीवानों के इस शहर में हमारी दीवानगी शायद  अभी  कुछ  कम  है....!! और  छुपा  लेते  है दर्द हंसते हंसते, और हम रो देते है....!!" @anjan rahi

समीक्षा
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    15 मई 2022
    क्यूँ ऐसा होता है दर्द -ए -दिल के साथ जिसे समझना होता है वही कभी समझता नहीं कोई गुम रहता है सुकून -ए -जहाँ मे हर पल और किसीको हासिल -ए -एक लम्हा तक नहीं..!! बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत superb लिखा है भाई 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
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    रीना
    15 मई 2022
    सर पर ना साया कोई संग ना साई रे मेरे साथ जाए ना मेरी परछाई रे बाहर उजाला हैं अंदर विराना यारा सिली सिली विरहा की रात का जलना।
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    15 मई 2022
    ख्याल अब तेरा, किस ख्याल से करें। जब तुम औरो का ख्याल बन चुके हो। हीहीही। लिखने की कोशिश। बहुत अच्छा लिखे हो आप 👌👌
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    15 मई 2022
    क्यूँ ऐसा होता है दर्द -ए -दिल के साथ जिसे समझना होता है वही कभी समझता नहीं कोई गुम रहता है सुकून -ए -जहाँ मे हर पल और किसीको हासिल -ए -एक लम्हा तक नहीं..!! बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत superb लिखा है भाई 👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏
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    रीना
    15 मई 2022
    सर पर ना साया कोई संग ना साई रे मेरे साथ जाए ना मेरी परछाई रे बाहर उजाला हैं अंदर विराना यारा सिली सिली विरहा की रात का जलना।
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    15 मई 2022
    ख्याल अब तेरा, किस ख्याल से करें। जब तुम औरो का ख्याल बन चुके हो। हीहीही। लिखने की कोशिश। बहुत अच्छा लिखे हो आप 👌👌