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तपस्या

4.6
18

जीवन भर एक अर्धांगनी करती रहती तपस्या, की जीवन भर सलामत रहे मांग का सिन्दूर और पिया, जीवन भर करती रहती है एक माँ तपस्या, कि उसकी संतान दीर्घायु रहे कभी बुझे ना ममता का दीया। ...

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लेखक के बारे में
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Khushi jha

खुश रहो खुश रहने की हजार वजह है। दुख ना हो तो खुशी की कीमत कहां है। खुशी में खुशी की खुशी है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    baldev singh verma verma
    01 सितम्बर 2021
    वाह वाह खुशी झा जी बहुत ही सुन्दर वर्णन तपस्या का👌👌👌👌👏👏👏👏
  • author
    Ashok Joshi
    02 सितम्बर 2021
    पंक्तियों में बहुत सुंदर पिरोया है तपस्या को.. 👌🌷👌
  • author
    kumar gupta
    01 सितम्बर 2021
    तपस्या ...नाम में ही सार है जिंदगी के ...🏆🏆
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    baldev singh verma verma
    01 सितम्बर 2021
    वाह वाह खुशी झा जी बहुत ही सुन्दर वर्णन तपस्या का👌👌👌👌👏👏👏👏
  • author
    Ashok Joshi
    02 सितम्बर 2021
    पंक्तियों में बहुत सुंदर पिरोया है तपस्या को.. 👌🌷👌
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    kumar gupta
    01 सितम्बर 2021
    तपस्या ...नाम में ही सार है जिंदगी के ...🏆🏆