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तन्हाई के आलम में

4.6
524

जब भी तन्हाई का आलम होगा तन्हाई की झीनी चादर में अपने जज्बात लिखूँगा जब भी तुम्हारी याद आएगी यादों की उन परछाई में अपनी पहली मुलाकात लिखूँगा बारिश की पहली बूंदो पर फूलों और कोमल कलियों पर चाँद के ...

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लेखक के बारे में
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विवेक शाही

Assistant Professor Psychology

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 জানুয়ারী 2021
    वाह शानदार सृजन मुझे भी पढें व उचित समीक्षा दें
  • author
    Soni Mishra
    06 এপ্রিল 2023
    वाह बहुत बढ़िया👌👌💐💐👌👌
  • author
    Jai Sharma
    25 সেপ্টেম্বর 2020
    एक अच्छी रचना के लिए शुक्रया शाही जी
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    13 জানুয়ারী 2021
    वाह शानदार सृजन मुझे भी पढें व उचित समीक्षा दें
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    Soni Mishra
    06 এপ্রিল 2023
    वाह बहुत बढ़िया👌👌💐💐👌👌
  • author
    Jai Sharma
    25 সেপ্টেম্বর 2020
    एक अच्छी रचना के लिए शुक्रया शाही जी