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तन्हाई का ज़हर।

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हिन्दी ग़जल

चाँदनी रात और मैं त़नहा चाँद नास़ूर बन के रिसता है,चाँदनी दर्द बन के फैलती है। ऐसा लगता है कि जैसे सदियों से ये हसीं तारे,ज़ख्म हों आशमां के सीने में। मेरी रग-रग में दौड़ता है ज़हरे-तन्हाई,तुम्हारी ...

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लेखक के बारे में
author
durganarayan singh

जन्म 01-01-1961 एक मध्यमवर्गीय में, शिक्षा-एम.ए.पूर्वार्ध (दर्शन शास्त्र) एल.एल.बी. वर्ष 1982 "जब-जब समाज में कुछ अच्छा-बुरा घटित होता हुआ दिखता है वही कलम के माध्यम से कागज पर उकेरता जाता है, कभी कुछ घटनायें मन में विषाद व क्षोब पैदा करती है जबकि वहीं कुछ सकारात्मक सोच मन को नवीन उर्जा प्रदान करता है साथ ही जीने के लिए एक प्रेरणा।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    माही मिश्रा
    12 जून 2019
    lovly lines which touch my heartt .....I have no words to describe .....its really osm
  • author
    02 जुलाई 2019
    अति सुंदर👌👌👌👌💐💐💐
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    18 मार्च 2019
    very nice and impressive creation.
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    माही मिश्रा
    12 जून 2019
    lovly lines which touch my heartt .....I have no words to describe .....its really osm
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    02 जुलाई 2019
    अति सुंदर👌👌👌👌💐💐💐
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    Asha Shukla ""Asha""
    18 मार्च 2019
    very nice and impressive creation.