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तन मछरी-मन नीर

4.6
91116

हवेली को फूलों से सजते हुए देखकर उसने चश्मा उतारा और उसे रुमाल से ऐसे पौंछने लगी मानो समय पर जमी धूल छुटा रही हो। आज वह फूलों से एक पुरानी हवेली सजवा रही थी। समय कितना बदल गया था, पर लगता था जैसे ...

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लेखक के बारे में
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विवेक मिश्र

परिचय-विवेक मिश्र 15 अगस्त 1970 को उत्तर प्रदेश के झांसी शहर में जन्म. विज्ञान में स्नातक, दन्त स्वास्थ विज्ञान में विशेष शिक्षा, पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नात्कोत्तर. तीन कहानी संग्रह- ‘हनियाँ तथा अन्य कहानियाँ’-शिल्पायन, ‘पार उतरना धीरे से’-सामायिक प्रकाशन एवं ‘ऐ गंगा तुम बहती हो क्यूँ?’- किताबघर प्रकाशन तथा उपन्यास ‘डॉमनिक की वापसी’ किताबघर प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित. 'Light through a labyrinth' शीर्षक से कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद राईटर्स वर्कशाप, कोलकाता से तथा पहले संग्रह की कहानियों का बंगला अनुवाद डाना पब्लिकेशन, कोलकाता से तथा बाद के दो संग्रहों की चुनी हुई कहानियों का बंग्ला अनुवाद भाषालिपि, कोलकाता से प्रकाशित. लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं व कहानियाँ प्रकाशित. कुछ कहानियाँ संपादित संग्रहों व स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में शामिल. साठ से अधिक वृत्तचित्रों की संकल्पना एवं पटकथा लेखन. चर्चित कहानी ‘थर्टी मिनट्स’ पर ‘30 मिनट्स’ के नाम से फीचर फिल्म बनी जो दिसंबर 2016 में रिलीज़ हुई. कहानी- ‘कारा’ ‘सुर्ननोस-कथादेश पुरुस्कार-2015’ के लिए चुनी गई. कहानी संग्रह ‘पार उतरना धीरे से’ के लिए उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा वर्ष 2015 का ‘यशपाल पुरस्कार’ मिला. पहले उपन्यास ‘डॉमानिक की वापसी’ को किताबघर प्रकाशन के ‘आर्य स्मृति सम्मान-2015’ के लिए चुना गया. हिमाचल प्रदेश की संस्था ‘शिखर’ द्वारा ‘शिखर साहित्य सम्मान-2016’ दिया गया तथा ‘हंस’ में प्रकाशित कहानी ‘और गिलहरियाँ बैठ गईं..’ के लिए ‘रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार- 2016’ मिला. मो-9810853128 ईमेल- [email protected]

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  • author
    Jagdeep Kaur
    20 ഒക്റ്റോബര്‍ 2020
    इस कहानी में प्रेम की वो तड़प है जो हर किसी के हिस्से में नही आती ।बलिदान भी ऐसा जिसने दो तड़पती आत्माओ को एक कर दिया।सुवासिनी की पीड़ा का मर्म अजिया ने जाना
  • author
    डॉ अर्चना शर्मा
    06 ഫെബ്രുവരി 2019
    वाह।ऐसा लगा कि सब कुछ आँखों के सामने घटित हो रहा है।
  • author
    sunil punjabi
    05 ആഗസ്റ്റ്‌ 2016
    एक अच्छी रचना ....सराहनीय है Khass kr isme jo aap ne bundeli lok geeton or boli ka istemaal kiya h Ajiya k sath... Aap or bhi acha likh skte h...
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    Jagdeep Kaur
    20 ഒക്റ്റോബര്‍ 2020
    इस कहानी में प्रेम की वो तड़प है जो हर किसी के हिस्से में नही आती ।बलिदान भी ऐसा जिसने दो तड़पती आत्माओ को एक कर दिया।सुवासिनी की पीड़ा का मर्म अजिया ने जाना
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    डॉ अर्चना शर्मा
    06 ഫെബ്രുവരി 2019
    वाह।ऐसा लगा कि सब कुछ आँखों के सामने घटित हो रहा है।
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    sunil punjabi
    05 ആഗസ്റ്റ്‌ 2016
    एक अच्छी रचना ....सराहनीय है Khass kr isme jo aap ne bundeli lok geeton or boli ka istemaal kiya h Ajiya k sath... Aap or bhi acha likh skte h...