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टमटम

4.7
219

रिक्शा... मैंने प्लेटफार्म से ई रिक्शा को देखकर आवाज लगाई , फिर याद आया कि यहां तो ई रिक्शा को टमटम कहते हैं। तभी मैंने टमटम कहकर आवाज लगा दी। मैंने उसे कमलेश्वर कालोनी जाने के लिए पूछा। उसने ...

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लेखक के बारे में
author
munesh bhardwaj

स्वतंत्र लेखक व कवि तथा व्याख्याता (शिक्षा विभाग, म.प्र. शासन) । 'तितलियां' लघुकथा संग्रह हमरूह पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित । 'मन मुक्ता' कविता संग्रह पेन पाॅकेट बुक द्वारा प्रकाशित । अमर उजाला काव्य द्वारा कई रचनाएं प्रकाशित।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kalpana Sharma
    07 दिसम्बर 2021
    content of story so pure there is no mixing nd fake things this stry explore their own reality 👍👍👍❣️❣️
  • author
    Akram Khan
    28 सितम्बर 2022
    👍
  • author
    Arpna
    28 फ़रवरी 2022
    बहुत अच्छी प्रस्तुति.... सच ही है लोग थोड़ी सी देर में दूसरों के बारे में अपने हिसाब से राय बना लेते हैं और फिर शर्मिंदा होते हैं
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    Kalpana Sharma
    07 दिसम्बर 2021
    content of story so pure there is no mixing nd fake things this stry explore their own reality 👍👍👍❣️❣️
  • author
    Akram Khan
    28 सितम्बर 2022
    👍
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    Arpna
    28 फ़रवरी 2022
    बहुत अच्छी प्रस्तुति.... सच ही है लोग थोड़ी सी देर में दूसरों के बारे में अपने हिसाब से राय बना लेते हैं और फिर शर्मिंदा होते हैं