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तमसो मां ज्योतिर्मय

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खालीपन है चेहरे पर मुस्कान कहाँ गई तेरी ! आँखों के गड्ढे बतलाते विश्वास कहाँ गया तेरा !! जीवन की चमक थी आँखों में अब नीरवता छाई ! अधरों की फीकी हंसी ने विवशता दिखलाई !! जीवन को जीना छोड़ कर क्या ...

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लेखक के बारे में
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Rajendra Madhwani
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    04 सितम्बर 2023
    बिल्कुल सही कहा अपने कि कर्मों का सिद्धांत सर्वोपरि है । उनका पालन करने वाले कभी परेशान नहीं होते
  • author
    सरोज प्रजापति
    04 सितम्बर 2023
    बहुत ही सुंदर संदेश देती रचना 👌💐💐👌
  • author
    संजीव बंसल
    04 सितम्बर 2023
    शानदार, निशब्द
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    04 सितम्बर 2023
    बिल्कुल सही कहा अपने कि कर्मों का सिद्धांत सर्वोपरि है । उनका पालन करने वाले कभी परेशान नहीं होते
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    सरोज प्रजापति
    04 सितम्बर 2023
    बहुत ही सुंदर संदेश देती रचना 👌💐💐👌
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    संजीव बंसल
    04 सितम्बर 2023
    शानदार, निशब्द