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तलाश

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3.5

था बहुत बेचैन उस दिन जब उसने मेरा मित्रता आग्रह स्वीकार किया। लगा था शायद भूल चुकी होगी वो मुझे ।भूले भी क्यों ना, कभी जो हमने बात तक नहीं की थी। कभी सिवाय गुड मॉर्निंग के कुछ कहा भी नहीं था वो भी ...