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तलाक़

3.6
21496

घर की दहलीज़ पर साजिद ने क़दम रखा ही था कि नाज़नीं ने घबराई हुई आवाज़ में कहा-ग़ज़ब हो गया, अभी-अभी अतहर भाईजान आ गये। अतहर भाई ? साजिद चौंककर बोला, और बुत-सा खड़ा नाज़नीं की ओर देखता रहा। हाँ-हाँ अतहर ...

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लेखक के बारे में
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नसीम साकेती

जन्म-जि़ला अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश) के मिझौड़ा नामक गांव में शिक्षा-स्नातकोत्तर पेषा-पेशे से इन्जीनियर (रेलवे) रचनाएं 1. ‘सूरज फ़्यूज़ हो गया’, ‘अमोघ-अस्त्र’, ‘सुलगते सवाल’, ‘पानी पर लिखी इबारत’ तथा ‘गोहनलगुआ’ कहानी-संग्रह 2. ‘बोल की लब आज़ाद हैं’, उपन्यास 3. आकाशवाणी से कहानी, कविता तथा नाटक का प्रसारण, नाटक ‘‘पत्नी एक कवि की’’ तथा कहानी ‘‘पीढि़यां’’ काफ़ी चर्चित रही। अनेक कहानियाँ उर्दू, अँग्रेजी, गुजराती तथा मलयालम में अनूदित. कुछ समय तक आर0बी0एन0 काॅलेज गोसाईगंज (फ़ैज़ाबाद) में अध्यापन बाद में रेलवे में इन्जीनियर सम्मान :- हिन्दी सभा सीतापुर द्वारा ‘‘हिन्दी गौरव-सम्मान’’ उत्तर प्रदेष राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा ‘‘साहित्य-गौरव सम्मान’’, उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान द्वारा 14 सितम्बर, 2013 को ‘‘साहित्य भूषण’’ सम्मान से सम्मानित.

समीक्षा
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  • author
    Gaurav Kumar
    30 दिसम्बर 2020
    apna suarpan Har jagah dikhate ho, Diwali me jua khela jata h Suar
  • author
    Jyoti Singh
    31 अक्टूबर 2021
    शब्दो की बाजी गरी मे आप कुशल है।आपका माइंड अपने विचारों के प्रति सेट है,,आपकी लेखनी भी इसी माइंड़ सेट के इर्द गिर्द घुमती है।कुछ माइंड सेट की झलक 1,,,रोड भ्रष्टाचार की भेट चढ गया,,प्रधानमंत्री न खाऊगा न खाने दूंगा,,,मे लगे रहे 2निलिमा सिंह बता रही थी कि कोर्ट मे डाइवोर्स के लाखो केस पेंडिग है 3 दिवाली के दिन जुऐ खेल कर हार गया,,,जैसे बंदा कभी खेला न हो,, 4 सारे लोग जो कौम के है मजहबी है,,सब की प्रसंशा करने में आपने कोई कसर न झोड़ी, 5,,मंहगाई का ठीकरा सरकार पर,,,और फिर कहते हो किसानो का हक मिलना चाहिये शर्म करो,,,,तुच्छ मानसिकता के रचनाकार,,आलिम होकर भी ख्याल इतने फरेबी,,,
  • author
    Hemant kumar
    21 फ़रवरी 2019
    नसीम जी तलाक सच मुच में एक रुदीबादी विचार है । लेकिन आपने बहुत बढ़िया तरीके से इसे प्रस्तुत किया है । पर इस कहानी का ये अंतिम रूप नही है । इसको ओर विस्तारित कीजिए ।।। आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।
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    Gaurav Kumar
    30 दिसम्बर 2020
    apna suarpan Har jagah dikhate ho, Diwali me jua khela jata h Suar
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    Jyoti Singh
    31 अक्टूबर 2021
    शब्दो की बाजी गरी मे आप कुशल है।आपका माइंड अपने विचारों के प्रति सेट है,,आपकी लेखनी भी इसी माइंड़ सेट के इर्द गिर्द घुमती है।कुछ माइंड सेट की झलक 1,,,रोड भ्रष्टाचार की भेट चढ गया,,प्रधानमंत्री न खाऊगा न खाने दूंगा,,,मे लगे रहे 2निलिमा सिंह बता रही थी कि कोर्ट मे डाइवोर्स के लाखो केस पेंडिग है 3 दिवाली के दिन जुऐ खेल कर हार गया,,,जैसे बंदा कभी खेला न हो,, 4 सारे लोग जो कौम के है मजहबी है,,सब की प्रसंशा करने में आपने कोई कसर न झोड़ी, 5,,मंहगाई का ठीकरा सरकार पर,,,और फिर कहते हो किसानो का हक मिलना चाहिये शर्म करो,,,,तुच्छ मानसिकता के रचनाकार,,आलिम होकर भी ख्याल इतने फरेबी,,,
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    Hemant kumar
    21 फ़रवरी 2019
    नसीम जी तलाक सच मुच में एक रुदीबादी विचार है । लेकिन आपने बहुत बढ़िया तरीके से इसे प्रस्तुत किया है । पर इस कहानी का ये अंतिम रूप नही है । इसको ओर विस्तारित कीजिए ।।। आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।