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तलाक

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दौ दिल मिलते , प्यार में खिलते , कहते बहार आयी है | मिलकर फिर वो , अलग हो जाते , कहते तलाक लायी है || मिले तब कहते , ईश्वर इच्छा , मन में खुशियाँ छायी है | तलाक वो लेते , एडजस्ट न करते , नापसंद ...

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लेखक के बारे में

शिक्षा - M.A (sociology) , osmania university सारस्वत सम्मान - विद्यावाचस्पति " भारत गौरव " उपाधि प्राप्त पांच पुस्तकों के लेखक मेरा हैदराबाद में ही निवास है । ईश्वर ने हमे प्रकृति दी , हमे इस पृथ्वी पर भेजा । क्यों नहीं हम , इस प्रकृति सम्मत जीवन का पूर्ण आनद ले ? शब्दों की अभिव्यक्ति ही , इंसान की पहचान बनाती है ।

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    Apurva Jain
    26 दिसम्बर 2024
    सत्य है
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    26 दिसम्बर 2024
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