pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

तड़पती जवानी

4.3
6847

घड़ी में रात के 12 बज रहे हैं हॉस्पिटल में अपने बेड पर लेटे दीपक कुछ ख्यालों में खोया है। उसे याद आ रहा है किस तरह वह सूरतगढ़ जैसे छोटे से गांव से निकलकर जयपुर जैसे शहर में आकर बसा था। यही उसने ...

अभी पढ़ें

Hurray!
Pratilipi has launched iOS App

Become the first few to get the App.

Download App
ios
लेखक के बारे में
author
Vijay Bhati

जिसकी ना शक्ल है ना सुगन्ध है मैं वह धूआ हूं जिसमें ना कोई स्व ना स्वार्थ ,मैं वह दुआ हूं छत से गुजरता हुआ एक बाज हूं न भविष्य ना भूतकाल मैं तो थोड़े समय का आज हूं मेरी कोई हस्ती नहीं मैं तो रात का एक ख्वाब हूं तुझे दो पल हंसाने आया था मैं तो छोटा सा मजाक हूं मैं कुछ नहीं कहीं नहीं मेरी हस्ती भी नहीं मैं तो तेरे पुण्य का एक भाग हूं जिसे कोई कह ना पाए मैं तो वह जज्बात हूं मैं आज हूं मन का भाव हूं तेरा स्वभाव हूं मैं तो ढल जाऊंगा कभी लौट के ना आऊंगा मैं तो उम्र का वह पड़ाव हूं

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anuradha Pachwariya
    30 ജനുവരി 2020
    किसी भी इंसान के शौक अगर शरीर खराब करने लगें तो वो शौक नही बल्कि जहर बन जाते हैं। मैंने recently ही दो तीन ऐसे example देखे हैं जिसमें व्यक्ति के शौक ने उसे दुनिया से रवाना कर दिया और पीछे से परिवार रोता ही रह गया। बहुत भावपूर्ण कहानी।
  • author
    Milki Agrawal
    27 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    शौक को शौक ही रखा जाए वह तक फिर भी ठीक है जहां ये शौक आदत बन जाते हैं वहां ज़िंदगी खराब हो जाती है। पर तब ऐसे लोगो को अपने समझाने वाले लोग ही गलत लगते है। उम्मीद h es लेख से ऐसे लोग कुछ समझ पाए।👍👍
  • author
    Arpita Bhatt
    30 സെപ്റ്റംബര്‍ 2021
    Sahi kah aapne....Hame iss story ka massage bahut pasand aaya....Aaj sach me Deepak jaise logo ko samajne ki zaroorat hai ki corporate culture apnakar wo sab apne culture se door ho rhe hai....aur apni life spoil kar rhe hai.. .Such a nice story sir...👍👍👍👌👌👌👌👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anuradha Pachwariya
    30 ജനുവരി 2020
    किसी भी इंसान के शौक अगर शरीर खराब करने लगें तो वो शौक नही बल्कि जहर बन जाते हैं। मैंने recently ही दो तीन ऐसे example देखे हैं जिसमें व्यक्ति के शौक ने उसे दुनिया से रवाना कर दिया और पीछे से परिवार रोता ही रह गया। बहुत भावपूर्ण कहानी।
  • author
    Milki Agrawal
    27 ആഗസ്റ്റ്‌ 2020
    शौक को शौक ही रखा जाए वह तक फिर भी ठीक है जहां ये शौक आदत बन जाते हैं वहां ज़िंदगी खराब हो जाती है। पर तब ऐसे लोगो को अपने समझाने वाले लोग ही गलत लगते है। उम्मीद h es लेख से ऐसे लोग कुछ समझ पाए।👍👍
  • author
    Arpita Bhatt
    30 സെപ്റ്റംബര്‍ 2021
    Sahi kah aapne....Hame iss story ka massage bahut pasand aaya....Aaj sach me Deepak jaise logo ko samajne ki zaroorat hai ki corporate culture apnakar wo sab apne culture se door ho rhe hai....aur apni life spoil kar rhe hai.. .Such a nice story sir...👍👍👍👌👌👌👌👌