जिसकी ना शक्ल है ना सुगन्ध है मैं वह धूआ हूं
जिसमें ना कोई स्व ना स्वार्थ ,मैं वह दुआ हूं
छत से गुजरता हुआ एक बाज हूं
न भविष्य ना भूतकाल मैं तो थोड़े समय का आज हूं
मेरी कोई हस्ती नहीं मैं तो रात का एक ख्वाब हूं
तुझे दो पल हंसाने आया था मैं तो छोटा सा मजाक हूं
मैं कुछ नहीं कहीं नहीं मेरी हस्ती भी नहीं मैं तो तेरे पुण्य का एक भाग हूं
जिसे कोई कह ना पाए मैं तो वह जज्बात हूं
मैं आज हूं मन का भाव हूं तेरा स्वभाव हूं
मैं तो ढल जाऊंगा कभी लौट के ना आऊंगा मैं तो उम्र का वह पड़ाव हूं
रिपोर्ट की समस्या
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