pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

"तारों के नीचे"

5
15

"तारों के नीचे" कितनी बातें पनपी सपनों के पीछे, राह अपने शहर की अपनी ओर खींचें, चला हूँ बहुत देर तेज दोपहरी में और आज भी गुजरती हैं रातें तारों के नीचे.... मोहोब्बत सी है इस तन्हाई से, लगाव बहुत है ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

नौकरी तो जिम्मेदारियों के लिये करते हैं, शौक तो आज भी लिखना ही है। पत्रकारिता में परास्नातक। उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत, सार्थक लेखन के लिए हमेशा जुझारू, दो पुस्तकें प्रकाशित 1) उर वाणी–पवार काव्य संकलन 2)ख्यालों का आसमान–कहानियां कुछ अपनी सी प्रतिलिपि पर कई प्रतियोगिताओं में पुरुष्कृत। कई समाचार पत्रों, मैगजीन, किताबों और ऑनलाइन पत्रिकाओं में रचनाएं चयनित और सम्मानित।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vinita Gupta
    10 अगस्त 2021
    बहुत सुंदर 🙏
  • author
    बहुत बहुत सुंदर लिखा है आपने भाई👏🏻👏🏻👌🏻👌🏻👌🏻👏🏻👏🏻👏🏻🌌 पर लग रहा है कि ये अपने खुद पर लिखा है😄
  • author
    11 अगस्त 2021
    फिर सुबह को,,,,, तारों के नीचे,, द्वारा प्रकाशित करना आपका ही हुनर हो सकता है सुमित 👌👌👌👌👌👌
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vinita Gupta
    10 अगस्त 2021
    बहुत सुंदर 🙏
  • author
    बहुत बहुत सुंदर लिखा है आपने भाई👏🏻👏🏻👌🏻👌🏻👌🏻👏🏻👏🏻👏🏻🌌 पर लग रहा है कि ये अपने खुद पर लिखा है😄
  • author
    11 अगस्त 2021
    फिर सुबह को,,,,, तारों के नीचे,, द्वारा प्रकाशित करना आपका ही हुनर हो सकता है सुमित 👌👌👌👌👌👌