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ताप नमी की

4.6
152

लम्हों की नमी को महसूस किया था जो तुम्हारी आँखों की कोर पर अटका था तुम बहुत आगे निकल गए अपना पूरा पीछे ही छोड़ उस नमी को बांध बैठी थी अपने आँचल की छोर से इक गांठ बनाकर कई बार चाहा की खोल कर देख लूं पर ...

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लेखक के बारे में
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मीनू विश्वास
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    27 सितम्बर 2020
    सुंदर अभिव्यक्ति ईश्वर कृपा करें
  • author
    aishwarya tripathi
    11 सितम्बर 2020
    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति
  • author
    Prakash Tiwari
    29 अप्रैल 2020
    बहुत गहरे भाव लिए सुन्दर शब्द बानगी...
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    27 सितम्बर 2020
    सुंदर अभिव्यक्ति ईश्वर कृपा करें
  • author
    aishwarya tripathi
    11 सितम्बर 2020
    बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति
  • author
    Prakash Tiwari
    29 अप्रैल 2020
    बहुत गहरे भाव लिए सुन्दर शब्द बानगी...