हर लेखक लिखता है,
भाव से कृति अपनी,
हर पाठक संतुष्ट हो,
रहता है प्रयास यही।।
आलोचक समालोचक,
शिरोधार्य है सबको,
आशीर्वाद मिलता रहे,
तत्पर हैं स्वसुधार को।।
इंतजार रहता सदा,
समीक्षा के प्यार का,
अनवरत चलता रहे,
सफर ये लेखन का।।
पाठकों के प्रेम का,
सदा आशीर्वाद मिले,
नवीन रचनाओं का,
उद्गम हमेशा होता रहे।।
यहाँ सभी लिखने एवं पढ़ने के शौकीन हैं। सभी से निवेदन है कि एक दूसरे के व्यक्त भावों को अवश्य महत्व दें, प्रोत्साहित करें। प्रत्येक लेखक को पाठकों की समीक्षा का सदा इंतजार रहता है, वह अवश्य ही देने का प्रयास करें। जिससे उनका मनोबल बढ़े, जिससे आगे भी हम सभी को और भी अच्छी अच्छी लेखन कला देखने, पढ़ने एवं उनसे सीखने का मौका मिलता रहे।
मैं भी एक रचियता हूँ, जो मन के भावों को शब्दों से संजोकर पाठकों के अंतःपटल तक उतारने का प्रयास करता हूँ। हमेशा आपके स्नेह और आशीर्वाद की उस उम्मीद से कि मेरी सार्थक और सकारात्मक सोच को आप सभी पाठकों, रचियताओं द्वारा गति अवश्य मिलेगी, इन्हीं आशाओं के साथ।
'प्रतिलिपि' द्वारा सार्थक पहल से नवीन और अनुभवी लेखकों और रचनाकारों को स्वयं की प्रस्तुति हेतु वज्र पटल सहज उपलब्ध है। इसके लिए संपूर्ण 'प्रतिलिपि' टीम को हम सभी की ओर से साधुवाद, एवं आभार। सभी का धन्यवाद!
आशीष कुमार (हृदय), भोपाल
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