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स्वाभिमान से समझौता अब और नहीं!!

4.6
212

देर रात जब राधा जी की नींद खुली तो प्यास से गला सूख सा गया था। उठ कर टटोला लेकिन कुछ समझ ही नहीं आया दो पल को तो, क्यूंकि एक तो नीम अंधेरा ऊपर से बूढ़ी ऑंखें। कहीं अंधरे में गिर पड़ी तो ये ख़याल आते ही ...

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लेखक के बारे में
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Ekta Rishabh

अपनी कल्पना तो एक रूप देना चाहती हूँ !

समीक्षा
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  • author
    sweta tomar
    09 फ़रवरी 2023
    nice story sahi Kiya Radha ji ne aise sawarti logo se to akele hi thik hai
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    sweta tomar
    09 फ़रवरी 2023
    nice story sahi Kiya Radha ji ne aise sawarti logo se to akele hi thik hai