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स्वयं से संवाद

4.3
571

कितना सुखद होता है अपने होने को महसूस करना और प्यार करना खुद को। अलग-अलग रिश्तों में बँटकर जैसे बँट जाती हूँ मैं ही कई हिस्सों में। दूसरों की खुशी में कई बार घुलती मैं, जैसे अनचीन्हीं अन्जान हो गयी ...

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लेखक के बारे में
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आरती कुमारी

पति ः श्री माध्वेन्द्र प्रसाद शिक्षा ः एमú एú ;अंग्रेजीद्ध एमú एडú, पीएच-डी. जन्म तिथि ः 25 मार्च, 1977 जन्म स्थान ः गया ;बिहार व्यवसाय ः सहायक शिक्षिका के रूप में राजकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय ;$2द्ध ब्रह्मपुरा, मुजफ्रपफरपुर में पदस्थापित। प्रकाशन ः कैसे कह दूँ ;काव्य संग्रहद्ध सम्मान ः बिहार राज्य अनुव्रत शिक्षक छात्रा संसद, ;राजस्थान की राज्य इकाईद्ध द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्रा में ‘‘अनुव्रत सम्मान - 2011’’ स्वर्ण इंडिया द्वारा लेखन के क्षेत्रा में ‘‘बिहार विकास रत्न अवार्ड - 2012’’ चित्रागुप्त समाजिक संस्थान, बिहार द्वारा ‘‘गोपी वल्लभ सहाय सम्मान-2013’’ शाद अज़ीमावाद स्टडी सर्कल ;नव शक्ति निकेतन का साहित्यिक प्रकोष्टद्ध के द्वारा हिन्दी साहित्य के क्षेत्रा में ‘‘साहित्य साधना सम्मान-2015’’ निर्मल अनुपम पफाउंडेशन द्वारा ‘‘युवा प्रतिभा सम्मान-2015’’ संस्थान से सब(ता ः इंडिया इन्टरकाॅन्टिनेन्टल कल्चरल एसोशिएशन, चण्डीगढ़ ;आजीवन सदस्यद्ध काव्य मंच ः 1. दूरदर्शन मुजफ्रपफरपुर एवं बिहार के सांस्कृतिक व साहित्यिक कार्यक्रमो में मंच संचालन एवं काव्य पाठ

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
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    Rudhir qaish kaushal Arodh Mandal
    09 जनवरी 2024
    जीवन के बहुत से चरण है। उनमें निचले चरण में व्यक्ति सुख बाहर खोजता है वो अपने को संपूर्ण विस्तार देकर फैला लेना चाहता है। परंतु जो उसकी सर्वोच्चतम चरण है उसमें व्यक्ति अपने को समेटता है और खुशी अपने भीतर ढूंढ़ता है! वाकई ये जीवन के सबसे उत्तम चरण है जब आदमी को सुख एकांत में मिले! उसका मित्र वो खुद हो!
  • author
    Vivek Verma
    15 दिसम्बर 2018
    यदि आप इसे स्वच्छंद कविता का रूप दे । तो कई आयामी विस्तार से नवाज़ सकती है
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    08 मई 2022
    अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति । साधुवाद
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    Rudhir qaish kaushal Arodh Mandal
    09 जनवरी 2024
    जीवन के बहुत से चरण है। उनमें निचले चरण में व्यक्ति सुख बाहर खोजता है वो अपने को संपूर्ण विस्तार देकर फैला लेना चाहता है। परंतु जो उसकी सर्वोच्चतम चरण है उसमें व्यक्ति अपने को समेटता है और खुशी अपने भीतर ढूंढ़ता है! वाकई ये जीवन के सबसे उत्तम चरण है जब आदमी को सुख एकांत में मिले! उसका मित्र वो खुद हो!
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    Vivek Verma
    15 दिसम्बर 2018
    यदि आप इसे स्वच्छंद कविता का रूप दे । तो कई आयामी विस्तार से नवाज़ सकती है
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    अरविन्द सिन्हा
    08 मई 2022
    अत्यन्त ही हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति । साधुवाद